कबीरदास को मस्त मौला हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने कहा था। 15वीं सदी के कवि कबीरदास हिन्दू धर्म व इस्लाम को मानते हुए धर्म एक सर्वोच्च ईश्वर में मानते थे। इन्होने सामाजिक बुराईयों को खत्म करने का काम किया था तथा इनका मानना था कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।
इनका जन्म काशी में हुआ था जिसे आज वाराणसी के नाम से जाना जाता है। सधुक्कड़ी एवं पंचमेल खिचड़ी इनकी मुख्य भाषाए थी साथ ही इनकी रचनाओं में राजस्थानी, हरयाणवी, पंजाबी, खड़ी बोली, अवधी, ब्रजभाषा भी शामिल है। इन्हें लिखना नही याद था इसीलिए इनके शिष्य इनके दोहे लिखा करते थे।
हजारी प्रसाद द्विवेदी से जुड़ी जानकारी
कबीरदास को मस्त मौला कहने वाले हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 को बलिया, भारत में हुआ था। यह हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे जो हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत आदि में रचना करते थे।
यह पढ़ाई में भी काफी अच्छे थे इन्होने 1927 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इन्हें काफी उपाधियो से सम्मानित किया जा चूका है तथा राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्मभूषण’ भी दिया जा चूका है।
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