शंखपुष्पी एक औषधि है जो भारत के अलावा पाकिस्तन, श्रीलंका में भी उपयोग की जाती है। शंखपुष्पी एक तरह का फूल है जो मस्तिष्क के लिए काफी लाभकारी माना जाता है और बच्चों से लेकर बडो तक हर किसी को लाभ पहुचाता है। इसका उपयोग बच्चो को बुद्धिमान बनाने में भी किया जाता है और यह दिमाग के साथ साथ शरीर को भी कई तरह के लाभ पहुचाता है।
शंखपुष्पी का उपयोग और फायदे
हर कोई अपने बच्चों को आइंस्टीन की दिमागदार बनाना चाहता है, और बच्चों की याददाश्त बढ़ाना चाहता है इसके लिए शंखपुष्पी का उपयोग किया जा सकता है। इससे किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट बिह नहीं होता है और मस्तिष्क को काम करने के लिए ताकत प्रदान करती है।
शंखपुष्पी में कई तरह के ऐसे गुण पाएं जाते हैं जो दिमाग के लिए काफी लाभकारी होते हैं और उसकी एकाग्रता, सिखने की शक्ति, याददाश्त को बढाते हैं। इस शंखपुष्पी को कई तरह से लिया जा सकता है जैसे – शंखपुष्पी के केप्सूल भी आते हैं इसके अलावा इसका चूर्ण और टेबलेट भी होती हैं जिन्हें दूध के साथ लिया जा सकता है।
शंखपुष्पी की पत्तियों की चाय बना कर भी पी जा सकती है एवं इसके फूलों की भी चाय बनाई जाती है तथा इसका सेवन काफी लाभकारी होता है। इससे पाचन भी ठीक होता है और कई तरह की पाचन संबंधित बीमारियाँ भी ठीक हो जाती है।
शंखपुष्पी कितने साल के बच्चे पी सकते हैं?
शंखपुष्पी बच्चों के लिए सुरक्षित होता है पर केवल 6 माह से बड़े बच्चे को ही शंखपुष्पी का सेवन करवाना चाहिए और उसकी मात्रा के बारें में चिकित्सक की सलाह लेना जरुरी है। शंखपुष्पी कई प्रकार से उपलब्ध है पर बच्चों के लिए सीरप ही सबसे उत्तम होता है इसके लिए छोटे बच्चों को शंखपुष्पी सिपर का ही उपयोग करना चाहिए। 5-10 वर्ष की आयु के बच्चे को 250-500 मिलीग्राम तक की मात्रा दे सकते हैं।
शंखपुष्पी में क्या-क्या पाया जाता है?
शंखपुष्पी में कई तरह के पुश्क तत्व पाएं जाते हैं जैसे विटामिन C, केल्शियम, एनटीऑक्सिडेंट्स, आयरन आदि। इस लिए यह बुखार, हृदय रोह, सांस संबंधी रोग आदि में सहायक होता है। इसके सेवन से तनाव भी कम होता है और स्मृति पर सकारात्मक असर पड़ता है, एकाग्रता बढ़ती है।
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