इंटरनेट का उपयोग महामारी के दौरान बहुत ज़्यादा हुआ है क्योंकि लोग कईं महीनो तक अपने घरों में बंद थे। 1980 में वेब 1.0 हुआ करता था उसके बाद वेब 2.0 आया और अब 3.0 आ चूका है। आज हम जानेंगे की वेब 3.0 क्या है?
वेब 3.0 क्या है?
वेब 3.0 को डिसेंट्रलाइज़्ड वेब भी कहा जाता है। इस संस्करण में वेबसाइट के फीचर के ऊपर कोई भी बात को सुनिश्चित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय इसका मेजर एलिमेंट डिसेंट्रलाइजेशन होगा। वेब 3.0 को ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पावर देगी जिसे क्रिप्टोकरेन्सी में भी इस्तेमाल किया जाता है। ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी में कोई भी डाटा किसी एक कम्प्यूटर या सर्वर पर नहीं होता बल्कि दुनिया भर के विभिन्न कम्यूटर पर होता है जिस कारण किसी भी हैकर का इसे हैक कर लेना नामुमकिन सा है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!वेब 3.0 पूरी तरह ओपन होगा और यह वेब के पुराने सभी वर्ज़न से कईं कदम आगे होगा। इस वेब में हमारी पूरी वेब सिक्योरिटी सिक्योर रहेगी। वेब 3.0 पुराने दोनों वेब वर्ज़न को सुधरने के इरादे से बनाया गया है जिसमे हमारा पूरा डाटा सिक्योर रहेगा।
वेब 3.0 पर किसी एक व्यक्ति का कंट्रोल नहीं होगा इसका कन्ट्रोल थोड़ा-थोड़ा सबके पास होगा और आप इससे यह समझ सकते हैं की इसका कंट्रोल किसी के पास भी नहीं होगा। इसी कारण किसी हैकर का इसे हैक करना नामुमकिन हो जाएगा।
वेब 3.0 डिसेंट्रलाइज़्ड के फायदे
- सरवरलेस होस्टिंग : वेब 3.0 डिसेंट्रलाइज्ड में होस्टिंग की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि इसका सारा डाटा किसी एक जगह नहीं होता। इसका सारा डाटा अलग-अलग सर्वर पर बिखरा होता है।
- सिक्योरिटी : जैसा की अभी तक हमने बताया की वेब 3.0 में डाटा एक सर्वर पर नहीं होता अतः किसी भी हैकर का डाटा को हैक कर पाना नामुमकिन है। यदि हैकर डाटा हैक करना भी चाहे तो उसे पहले सारे सर्वर का पता लगाना होगा उसके बाद उसे हैक करना होगा और अलग-अलग सर्वर का पता लगाना ही नामुमकिन है इसलिए यह कहा जा सकता है की वेब 3.0 की सिक्योरिटी बहुत मजबूत है।
- प्राइवेसी : वेब 3.0 में डाटा एक ही सर्वर पर नहीं होता बल्कि विभिन्न सर्वर पर बिखरा होता है जिस कारण हमारी प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी।
- सिमेंटिक : वेब 3.0 से पहले वाले वर्ज़न में डाटा शब्द और कीवर्ड पर निर्भर रहता था परन्तु इस नए वेब में डाटा सिमेंटिक रहेगा। सिमेंटिक यानी शब्दों और वाक्यों के अर्थ से संबंधित रहेगा।
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