स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ी पूंजी है, शरीर को प्रथम प्रायिकता देना चाहिए अगर हमारा शरीर ही स्वस्थ नहीं है तो हमारे पास चाहे करोड़ो रुपए की सम्पत्ति हो हम खुश नहीं रह सकते है अगर पैसा हाथ से निकल भी जाए तो उसे पुनः कमाया जा सकता है पर अगर स्वस्थ शरीर बिगड़ जाए तो उसे वापस पुरानी स्तिथि में नहीं लाया जा सकता है। एक स्वस्थ व्यक्ति उत्साह से भरा होता है और अस्वस्थ व्यक्ति नकारत्मकता से भरा हुआ होता है। जिस इंसान का शरीर स्वस्थ होता है उसक जीवन कष्टों से भरा होता है। स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक आहार, व्यायाम, स्वच्छता, की बहुत जरूरत होती है। पर यदि किसी कारण से शरीर अस्वस्थ हो भी जाता है तो चिकित्सा के माध्यम से उसे स्वस्थ किया जा सकता है। चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद बहुत महत्व रखता है। तो आज हम जानेगे की आयुर्वेद क्या है ? ayurved kya hai और साथ ही यह भी जानेंगे की आयुर्वेद का जनक किसे कहा जाता है ? Ayurved Ka Janak Kise Kaha Jata Hai
आयुर्वेद क्या है?
भारत में लगभग ८००० वर्ष पहले आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्रारम्भ हुई थी। आयुर्वेद स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है। आयुर्वेद एक संपूर्ण प्राकृतिक प्रणाली है जो शरीर का सही संतुलन प्राप्त के लिए वात, पित्त और कफ सा नियंत्रित करने पर आश्रित है। यह केवल बीमारियों से लड़ने के लिए नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक, और आशयात्मिक संतुलन की स्तिथि भी है। हिन्दू धर्म में आयुर्वेद का गहरा इतिहास है , आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त कर उसे पीढ़ी दर पीढ़ी साझा किया जाता आ आरहा है।
आयुर्वेद का इतिहास
संसार की प्राचीनतम पुस्तक ऋग्वेद है इस पुस्तक में अनेक ऐसे विषयो का विवरण हे जिनमे आजके आधुनिक वैज्ञानिक भी सफल नहीं है । आयुर्वेद की रचना सृष्टि की उत्पत्ति के आस पास या साथ ही मानी जाती है । इतिहास के आधार पर आदि आचार्य अश्विनीकुमार इस शास्त्र के आचार्य माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इंद्र ने यह विद्या प्राप्त की थी फिर इंद्र ने धन्वंतरि को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार मने जाते हैं।
आयुर्वेद के फायदे क्या हैं ?
भारत में आयुर्वेद चिकित्सा की एक पारम्परिक प्रणाली है जिसे विदेशो में होमिओ थेरेपी के नाम से जाना जाता है। इसमें जड़ी बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है और इसके साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते है । इसमें तेल , जड़ीबूटियों , पेड़ पोधो की जड़ो से लेकर पत्तियों तक सभी का उपयोग किया जाता है। और आयुर्वेद में दूध ,दही और हड्डियों का उपयोग भी ओषधि बनाने में किया जाता है। आयुर्वेद से लगभग हर बीमारी क इलाज सम्भव है आदि काल से ही आयुर्वेद पर लोग भरोसा करते आये है। आयुर्वेदिक इलाज में समय थोड़ा अधिक लग सकता है पर यह एलोपेथिक इलाज से काफी सुरक्षित होता है। यह तो हम सब जानते ही है की विज्ञान बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है जो चिकित्सा के क्षेत्र में भी लागु होता इस लिए व्यक्ति को जल्दी स्वस्थ करने के तरिके एलोपेथ में खोजे जाते रहते है।
आयुर्वेद का जनक किसे कहा जाता है ? Ayurved Ka Janak Kise Kaha Jata Hai ? –
आयुर्वेद का जनक चरक को माना जाता है जिन्होंने चरक संहिता लिखी है ,चरकसंहिता आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। जिसमे आयुर्वेद को बड़े अच्छे से समझाया गया है और उसके बारे में बहुत सी बाते लिखी हुई है। चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद दो प्राचीनतम आधारभूत ग्रन्थ हैं। आचार्य चरक के गुरु वैशम्पायन मुनि को माना गया है। चरक संहिता में 120 अध्याय और आठ भाग हैं। चरक संहिता संस्कृत भाषा में है।
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