जब अपने ही न समझे कोट्स

जब अपने ही न समझे कोट्स

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By Shubham Jadhav

कई बार ऐसा होता है कि अपने हमें नहीं समझते हैं या फिर हमें धौका दे देते हैं, और हम काफी बुरा महसूस करते हैं। इंसान अपनों से लड़ कर यदि जीत भी जाता है तो उसे हार ही महसूस होती है क्योकि वह एक अच्छे से रिश्ते से गवा देता हैं। पर कई पर ऐसा करना जरुरी भी होता है क्योकि आप जान जाते हैं कि अपने आपको नहीं समझ रहें हैं या फिर समझ कर भी अनदेखा कर रहे हैं। इस आर्टिकल में आपको जब अपने ही न समझे कोट्स, अपने हुए पराये शायरी, अपने ही कद्र नहीं करते कोट्स आदि मिल जाएँगे।

जब अपने ही न समझे कोट्स

है मेरी जंग अपनों से,
नतीजा एक ही होगा,
जो हारूँ तो भी मैं हारूँ,
जो जीतूँ तो भी मैं हारूँ

मुझे एक छोटी सी बात समझने में बहुत वक्त लगा कि
मेरा सबके लिए अच्छा होना मेरे लिए अच्छा ना हुआ।

जानता में पहले से था मगर एहसास अब हो रहा है ,
अकेला तो मैं बहुत पहले से था पर महसूस अब हो रहा है।

jab apne hi na smjhe quote
जब अपने ही साथ नहीं
गैरों की क्या बात करें
जज्बातों को रहने दें
जाया क्यों जज़्बात करें।

भरोसा जितना कीमती होता है,
धोका उतना ही महंगा हो जाता है,
ईमानदारी का दाम कोन जाने,
यहां हर अपना पराया हो जाता है !!

मोहब्बत करके जब दिल टूट जाता है,
पल भर में ही अपनापन छूट जाता है

समझते नहीं वो मेरे जज़्बातों को
मेरे इश्क़ का मज़ाक बनाते हैं
मैं उसके लिए मरने को तैयार रहता हूँ
और वो मुझे पागल बताते हैं

काश वो मेरे दिल की बात जान जाते
काश वो मेरे इश्क़ को पहचान जाते
बहुत टूट कर चाहा था उसको हमने
काश वो हमें भी थोड़ा सा चाहते

जब अपने “अपना” ना समझे,
तो गैर क्या खाक समझे।।

हर वक्त वक्त को बदल देता हे
छोटे से जख़्म को नासूर कर देता हे
कौन चाहता हे भला अपनो से दूर होना
वक्त हर किसी को मजबूर बना देता हे।

jab apne hi na smjhe shayri
जहाँ अपनों के सामने सच्चाई साबित करनी पड़े,
वहाँ बुरे बन जाना ही बेहतर है।

जिंदगी से हर कदम
पर लड़ तो जाता हूं मैं,
पर अपनों से हर
बार हार जाता हूं।

वो मुझे समझ न सके
के मै उसे कितना चाहता था
लोग पूछते थे उसके बारे में तो
मैं सबको मेरी जान है बताता था।

कोई हमेशा जरूरी नही होता जिंदगी में,
या तो जरुरते बदल जाती है, या लोग बदल जाते है।

इतना दर्द शायद मौत भी ना देगी,
जितना दर्द अपनों की ख़ामोशी दे रही है।

मेरी जुबान की कड़वाहट सबको चुभ जाती है
लेकिन मेरे आंखों की नमी किसी को दिखाई नहीं देती।

मुझ पर हक तुमने उस दिन खो दिया था,
जिस दिन तुमने मुझे धोखा दिया था !

इंसान को कैसे समझ पाओगे,
जिसके दिल में घबराहट हो,
जिसके आँखों में आँसू नहीं
होठों पर सिर्फ मुस्कुराहट हो

जिन्दगी की हर मोड़ पर धोखेबाज मिलें,
उनमें पराये कम, अपने ज्यादा मिलें।

रिश्तों की दुनियाँ में हम ज़रा कच्चे निकले,
लोग खेलते रहे हमारे साथ और हम है कि निभाते रहे

कभी कभी हमे वही इंसान रुला जाता है,
जिसकी ख़ुशी के लिए हम कुछ भी कर सकते है !

किसी को अब क्या बुरा समझना,
बुरे तो हम हैं जो हर किसी को अपना समझ बैठते हैं

वो जख्म भी बहुत तकलीफ देते हैं है जो अपनों से मिले हो

हिम्मत नही अब मुझमें, में खुद को साबित करूँ अब तो जो जैसा समझे उसके लिए वैसा ही हूं मैं

दिल की बात समझते नहीं
खुद को समझदार कहते हो

कोई नहीं है दुश्मन अपना फिर भी परेशान हूं में,
अपने ही क्यों दे रहे है ज़ख्म, इस बात से परेशान हूं में

कुछ वक्त के लिए वक़्त और किस्मत क्या खराब हो गये,
कभी जिन दोस्तों की मिसाले दिया करते थे,
आज वो अपने भी गद्दार हो गये।

आजकल जरुरत कहां है हाथों में पत्थर उठाने की,
तोड़ने वाले तो जुबान से भी दिल को तोड़ जाते है

जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है,
जब उसके पास सब कुछ होकर भी वह अकेला रह जाता है

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