प्रश्न – भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कौन करता है? और सरकार को इसकी क्या जरूरत है।
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कौन करता है?
नीति आयोग भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करता है। हर देश में गरीबी का आकलन अलग अलग तरीको से किया जाता है जैसे कि कुछ देशो में एक निश्चित आय को सामान्य माना जाता है तथा उससे नीचे की आय को गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है। कुछ देशो में देश के सभी नागरिको की औसत आय के आधार पर गरीबी रेखा निर्धारण किया जाता है।
गरीबी रेखा के नीचे उन लोगो को रखा जाता है जो अपनी आवश्यक चीजो की खरीदी नही कर पाते हैं तथा जिनकी आमदानी बहुत ही कम होती है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि शहरो में 965 रूपये तथा गावों में 781 रुपये प्रति माह खर्च करने वाला इंसान गरीब नही है। उसी प्रकार योजना आयोग का कहना है कि 32 रुपये शहर में रहने वाले तथा 26 रुपये गाँव में रहने वाला इंसान अगर प्रतिदिन खर्च करता है तो वह भी गरीब नही माना जाएगा।
गरीबी की परिभाषा
गरीबी की परिभाषा “गरीबी उस अवस्था को कहा जाता है जिसमे व्यक्ति आर्थिक रूप से काफी असक्षम होता है और वश्यक बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं को प्राप्त करने में असमर्थ होता है।”
गरीबी अनुपात शब्द का उपयोग उस जनसंख्या के अनुपात को दर्शाने के लिए किया जाता है जो गरीबी रेखा के अंतर्गत आती है। और इसके द्वारा ही देश के विकास की गति और गरीब लोगों की संख्या को समझा जा सकता है।
गरीबी आकलन की आवश्यकता
सरकारी नीतियों के लिए गरीबी का आकलन किया जाता है क्योकि सरकार कल्याण के उद्देश्य से योजनाएं प्रारम्भ करती हैं और गरीबो तक पहुचाती है इसीलिए गरीबो का आकलन कर उन्हें सूचीबद्ध क्याकिया जाता है। यदि गरीबो का आकलन नहीं किया जाएँ तो किसी भी प्रकार की योजना को शुरू नहीं किया जा सकता हैं क्योकि जानकारी के अभाव में योजना के लिए रोड मेप तैयार नहीं किया जा सकता है।
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