आज का प्रश्न ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है?
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में क्या अंतर है?
15 अगस्त को ध्वजारोहण तथा 26 जनवरी को ध्वज फहराया जाता है। जैसे की हम जानते हैं कि हमारा भारत देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ था तथा हर वर्ष हर भारतीय इस दिन इस राष्ट्रिय पर्व को मानता है तथा अपने देश के प्रति सम्मान को दर्शाता है और आज़ादी के लिए बलिदान हुए क्रान्तिकारियों को याद करता है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और 26 जनवरी यानिकी गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, ध्वजारोहण में झंडे को नीचे से ऊपर की और ले जाया जाता है तथा ध्वज फहराने का अर्थ होता है कि झंडा पहले से ही ऊपर बंधा होता है तथा उसे केवल खोला जाता है।
26 जनवरी को ही राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं ध्वज?
1950 से पहले प्रधानमंत्री देश के प्रतिनिधी होते थे. इसलिए पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते थे। लेकिन फिर 1950 में नए नियम बने और डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने। और तभी उन्होंने पहली बार 1950 में झंडा फहराया था।
क्या भारतीय नागरिक राष्ट्रीय ध्वज अपने घरों पर फहरा सकते है?
एक नागरिक, एक संगठन और एक शैक्षणिक संस्थान सभी दिन और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते है, वर्तमान में ही सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया है ताकि तिरंगे को खुले में और अलग-अलग घरों में दिन-रात फहरा सकते हैं।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –
- पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया?
- तिरंगे झंडे में केसरिया रंग किसका प्रतीक है?
- अशोक चक्र किसका प्रतीक है?