ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्यों?

ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्यों?

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By Shubham Jadhav

हॉकी का खेल एक मजेदार खेल है जो बहुत से लोगो को पसंद है, कुछ लोगो की बचपन से ही हॉकी में दिलचस्पी होती और कुछ लोग समय के साथ इसको पसंद करने लगते है। अगर आप भी हॉकी के खेल को को पसंद करते हैं तो आपने जरुर ध्यानचंद का नाम सुना होगा जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्या आपके मन में भी यह प्रश्न है कि ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्यों?

ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्यों?

ध्यानचंद का जन्म एक राजपूत परिवार में 29 अगस्त सन्‌ 1905 को हुआ था। इनका जन्म स्थल इलाहबाद (प्रयागराज) है जो उतरप्रदेश में स्थित है। दिल्ली में इनकी 16 वर्ष की उम्र में ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गे थी। जहां इन्हें मेजर तिवारी ने हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया था और केवल हॉकी के खेल के कारण ही सेना में उनकी पदोन्नति होती गई। 

जब बचपन में हॉकी के प्रति कोई खास रूचि नही रखते थे पर समय के साथ जब वे हॉकी के क्षेत्र में आये तो अपने कोशल से लोगो को हेरान कर दिया। जब यह हॉकी खेलते थे तब गेंद इनकी स्टिक से इस तरह चिपकी रहती थी की इनकी स्टिक को तोड़ कर देखा गया की उसमे कही चुम्बक तो लगा हुआ नही है। जापान में एक बार हॉकी खेलते समय इनका प्रदर्शन को देख कर लोगो को लगा की इनकी हॉकी स्टिक में गोंद लगा हुआ है। इन्होंने अपने प्रथम मैच में 3 गोल्स किये थे तथा ओलिंपिक मैचों में 35 गोल्स और अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में 400 गोल्स, ओवरआल एक हज़ार से अधिक गोल्स कर चुके है। इनकी इन्ही सब कुशलताओ के कारण इन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता है।

Dhyan Chand (ध्यान चंद)

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