नमस्कार दोस्तों! आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि अर्थिंग किसे कहते हैं? अर्थिंग कितने प्रकार की होती है? अर्थिंग क्यों की जाती है?, अर्थिंग का उद्देश्य क्या होता है?, अर्थिंग क्यों जरुरी है? तथा अर्थिंग के क्या-क्या लाभ है?
अर्थिंग किसे कहते हैं?
अर्थिंग को हिंदी में भू संपर्कन कहते हैं, किसी उपकरण में विद्युत ऊर्जा का लीकेज होने पर व्यक्ति या जिव को झटका लगने का खतरा होता है, इस खतरे से बचने के लिए अर्थिंग का उपयोग किया जाता है। इसमें कम प्रतिरोध वाले तार के माध्यम से सीधे पृथ्वी पर आवेशों को स्थानांतरित करके विद्युत ऊर्जा का तात्कालिक निर्वहन किया जाता है। अर्थिंग के द्वारा Extra Voltage Leakage को तुरंत ही धरती मे पहुंचा दिया जाता है।
करंट Low Resistance की तरफ Flow होता है और करंट को जब कम रुकावट मिलेगा उस दिशा में वह बहता चला जाता है। अगर उपकरण में या कही भी Current Leakage होता है तो करंट Earthing Wire की तरफ भागता है, जिसके बाद पृथ्वी एक विशाल संवाहक (Conductor) हैं जिस कारण पृथ्वी Extra Current Leakage को अपने अंदर समा लेती है।
अर्थिंग कितने प्रकार की होती है?
- वायरअर्थिंग (Wire Earthing)
- स्ट्रिप अर्थिंग (Strip Earthing)
- कॉइल अर्थिंग (Coil Earthing)
- केमिकल अर्थिंग (Chemical Earthing)
- रॉड अर्थिंग (Rod Earthing)
- पाइप अर्थिंग (Pipe Earthing)
- प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
अर्थिंग क्यों जरुरी है?
उपकरण को छूने पर यदि उसकी सतहों पर electrical fault के कारण current आ जाता है जो अर्थिंग झटके से हमारी रक्षा करता है। और मशीनों को भी खराब होने से बचाता है। अर्थिंग न होने पर झटके का खतरा बढ़ जाता है जिस कारण करंट से छाले हो सकते हैं यहाँ तक की कई लोगों की मौत भी हो जाती है।
अर्थिंग कैसे करते हैं?
जमीन में 2.5 से 3 मीटर गहरा गड्ढा किया जाता है तथा Copper या Galvanized Iron का पाईप या प्लेट गाढ़कर उसमें से Open कंडक्टर बाहर निकाला जाता है इसे ही अर्थिंग करना कहते हैं।
FAQs
करंट के झटके से बचने के लिए अर्थिंग होता है।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –