महाभारत के पात्र एकलव्य का दुसरा नाम अभिद्युम्न था जो अपनी धनुर्विद्या के कारण प्रसिद्ध है यह अपने पिता के बाद श्रृंगबेर राज्य के राजा बने थे। एकलव्य ने धनुष विद्या के लिए आचार्य द्रोणाचार्य से आग्रह किया था किन्तु उन्होंने मना कर दिया क्योकि एकलव्य निषादपुत्र थे निषाद एक जाति है जिसके लोग मछुआरे समाज से होते हैं। आगे आप जानेंगे कि एकलव्य किसका पुत्र था?
एकलव्य किसका पुत्र था?
एकलव्य ‘निषादराज हिरण्यधनु’ का पुत्र था। जिनकी मृत्यु के बाद एकलव्य ने राजपाट सम्भाला था। एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति को गुरु मान कर धनुष विद्या का अध्ययन किया था और वे इस विद्या में निपुण हो गये थे। जब द्रोणाचार्य को इस बारें में पता चला की एकलव्य इतने कुशल धनुषबाज है तो वह चोक गये, एकलव्य ने गुरुदक्षिणा के रूप में आचार्य द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा दे दिया था और वे केवल उंगलियों की सहायता से ही तीरंदाजी किया करते थे। परन्तु भविष्य ने वह मानवों के नरसंहार में लगा गया था, इसलिए भगवान कृष्ण को एकलव्य का संहार करना पड़ा था ।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!कुछ और महत्वपूर्ण लेख –