पेट्रोल डीज़ल वर्तमान में वाहनों के प्रमुख ईंधन है, जिनके द्वारा वह चल पाते हैं इस कारण इनका मूल्य बढता रहता है, इन इंधनों के कारण जो धुँआ उत्पन्न होता है वह वातावरण के लिए बहुत ही हनिकारक होता है, इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुचता है। पेट्रोल डीज़ल वह प्राकृतिक संसाथान है जो इस धरती पर सीमित मात्रा में है तथा इसका निर्माण कर पाना मनुष्यों के द्वारा सम्भव नहीं है इसीलिए भविष्य में यह खत्म हो जाएगा इसीलिए कम्पनियां व सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को बाज़ार में ला रही है साथ ही इनसे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुचता है। पर कुछ दिनों से आपने इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा इथेनॉल से चलने वाले वाहनों के बारें में भी सुना होगा, यह काफी चर्चा में बना हुआ है पर आखिर यह इथेनॉल क्या है जो इसका इतना जिक्र किया जा रहा है।
इथेनॉल क्या है?
इथेनॉल एक प्रकार का इंधन ही है पर यह पूर्ण इंधन नहीं है, यह एक प्रकार की एल्कोहल है जिसका निर्माण चीनी के उत्पादन से बचे हुए उप-उत्पाद से होता है, इस इथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिला कर उपयोग किया जा सकता है जिससे पेट्रोल की खपत भी कम होगी तथा प्रदुषण भी कम फैलता है क्योकि यह कम मात्रा में जहरीली गैस का उत्पादन करता है। इसीलिए इथेनॉल का उपयोग वाहनों में किया जाएगा। यह E10 (10% इथेनॉल और 90% गैसोलीन) या E85 (85% इथेनॉल और 15% गैसोलीन तक), और फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस कुछ वाहनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से तैयार इंधन को फ्लेक्स फ्यूल कहा जाता है।
कैसे बनता है इथेनॉल?
इथेनॉल गन्ने, मक्का जैसी फसलों से तैयार ईंधन है, गन्ने में सुक्रोज होता है जिससे चीनी बनती है और यही कारण है कि इससे इथेनॉल बनाया जा सकता है। गन्ने से रस निकालने के बाद बचा हुआ रेशेदार कचरे का उपयोग इथेनॉल उत्पादन में काम आता है। गन्ने के अलावा इसे उन फसलों के द्वारा भी बनाया जा सकता है जो शर्करा वाली फसल होती है। इसके निर्माण से प्रकृति को कोई नुकसान नहीं होता है।
इथेनॉल के फायदे
- यह किफायती तथा सस्ता होता है।
- इससे प्रकृति को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
- इसका निर्माण करना एक आसान प्रक्रिया है।
- यह कम जहरीला धुआ निर्मित करता है।
- किसान इस इथेनॉल के लिए उपयोग आने वाले गन्ने की खेती कर कमाई कर सकते हैं।
- विदेश से अधिक मात्रा में पेट्रोल डीज़ल मंगवाने की जरूरत नहीं होगी।
इथेनॉल के नुकसान
- इथेनॉल के लिए उपयोग की जाने फसलो के दाम में बढोत्तरी हो सकती है जिससे पशु आहार महंगा हो सकता है किसानो पर इसका असर पड़ सकता हैं।
- इसकी ईंधन क्षमता कम होती है, इसके स्टेशन की संख्या फ़िलहाल में काफी कम है जिसे पुरे देश में बढाने में काफी समय लग सकता है।
- इथेनॉल गंदगी को आसानी से अवशोषित कर लेता है जिस कारण इनका बुरा असर ईंजन पर पड़ सकता है और इंजन की उम्र कम हो सकती है।
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