पैरेलल पैरेंटिंग क्या होती है

तलाक के बाद बच्चों की परवरिश: Parallel Parenting के यह ख़ास तरीके आपके लिए

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By Shubham Jadhav

पति-पत्नी का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसमे प्यार और तकरार डॉन काफी ज्यादा होती है, परन्तु एक संतुलित जीवन का यह मुख्य हिस्सा भी है। कई बार शादीशुदा जीवन में कुछ इस तरह के मनभेद हो जाते हैं कि पति पत्नी अपने रिश्ते के महत्व को भूल जाते हैं और अलग रहें का फैसला कर लेते हैं, वैसे वह बहुत ही बड़ा निर्णय होता है जिसका असर पुरे जीवन पर पड़ सकता है, पर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और साथ में नहीं रह पाने के कारण डाइवोर्स हो जाता है। कई बार बात ज्यादा बड़ जाती है और पति पत्नी अपने रिश्ते को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला ले लेते हैं। ऐसे में यदि उनका कोई बच्चा है तो रिश्ते को खत्म करने में कई तरह प्रश्न और समस्या आया सकती है, ऐसे में पेरेंट्स पैरेलल पैरेंटिंग का उपयोग कर सकते हैं। आइयें जानते हैं कि पैरेलल पैरेंटिंग क्या होती है? (What is Parallel Parenting)

पैरेलल पैरेंटिंग क्या होती है? What is Parallel Parenting

रिश्ते में दरार आने के बाद आपस में बात कर पाना भी सम्भव नहीं होता है, और व्यक्ति कम से कम बात हो इस पर ध्यान देता है। ऐसे तलाकशुदा दम्पति के बीच बच्चे का होना काफी प्रभाव डालता है और पति पत्नी के अलग रहने के निर्णय को प्रभावित करता है। इन परिस्थितियों में पेरेंट्स Parallel Parenting के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। पैरेलल पैरेंटिंग में शर्तो के साथ बच्चो को अलग अलग समय के लिए अपन साथ रखने की बात तय होती है, पैरेलल पेरेंटिंग में माता-पिता के लिए अपने बच्चों के साथ स्वतंत्र रूप से समय बिताने, उनकी स्कूल एक्टिविटीज में भाग लेने, बच्चे के साथ बाहर जाने और उनके जीवन से जुड़े ख़ास निर्णय लेने में भागीदार प्रदान करता है।

पैरेलल पैरेंटिंग में समय को सही बाटना बेहद जरुरी होता है और इस बात का भी धन रखता होता है की उनके किसी भी निर्णय का असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य पर न पड़े। बच्चे के स्कूल के निर्णय , और देखभाल के लिए जरुरी निर्णयों को अच्छे से समझना होता है।

Understanding और Benefits

बच्चे के साथ बाहर घुमने, वीकेंड स्पेंड करने के साथ माता पिता का आपस में मिलाप कम ही होता है केवल बच्चे को अहमियत दी जाती है क्योकि अलग होने के निर्णय के साथ उमके बीच की बोन्डिंग खत्म सी हो जाती है, फिर भी Parallel Parenting के लिए दोनों के बीच Understanding होना जरुरी है ताकि शर्तो का सही से पालन हो सकें। दोनों के निर्णय खुद के लिए स्वतंत्र हो सकते हैं पर बच्चे को लेकर और उसे खुश रखने के लिए Understanding को कायम रखना पड़ता है।

पैरेलल पैरेंटिंग से पति पत्नी के बीच तनाव कम हो जाता है, अलग होने के बाद भी बच्चे के साथ रह पाते हैं, बच्चे को माता और पिता दोनों का साथ मिल जाता है जिस कारण वह किसी एक की अनुपस्थिति से नहीं गुजरता है।

इन बातों का रखें खास ध्यान

Parallel Parenting के निर्णय के साथ ही सभी पहलुओ को ध्यान रखें कि बच्चे का खर्च किस प्रकार होगा, कौनसा समय बच्चे के साथ रहने के लिए आपको उचित लग रहा है, माता पिता जब बच्चे को अपने पार्टनर के पास छोड़ने जाएँ तो इस बात का ध्यान रखे कि उनके इस अलग रहने के निर्णय का प्रभाव बच्चे को तनाव में न डाले उसे अच्छे से समझाएं ताकि वह आपके अलग रहने के कारण सवालों से न घीरा रहें।

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