हिन्दी में शब्दो का लिंग निर्धारण किसके आधार पर होता है?

हिन्दी में शब्दो का लिंग निर्धारण किसके आधार पर होता है?

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By Shubham Jadhav

हिंदी शब्दों के लिंग-निर्णय के कुछ नियम मोजूद हैं, जिनके कुछ अपवाद होने की सम्भावना भी है परन्तु इन्ही नियमो का उपयोग सम्भव है जो लिखने बोलने में हमारी मदद करते हैं। आगे इस लेख में हम जानेंगे कि हिन्दी में शब्दो का लिंग निर्धारण किसके आधार पर होता है?

हिन्दी में शब्दो का लिंग निर्धारण किसके आधार पर होता है?

सबसे पहले लिंग की परिभाषा को समझते हैं।

लिंग उसे कहते है जो किसी व्यक्ति या वस्तु की पुरुष अथवा स्त्री जाति का बोध करता है। जिसका सामान्य अर्थ होता है चिन्ह।

हिन्दी में शब्दो का लिंग निर्धारण संज्ञा के आधार पर होता है, संज्ञा के द्वारा निर्जीव पर सजीव दोनों का ज्ञान हो जाता है। जैसे पुल्लिंग में लड़का, घोड़ा, पेड़, बल्ब आदि और स्त्रीलिंग में बकरी, लड़की, घोड़ी, लाइट आदि। संज्ञा के तीन रूप होते हैं व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक संज्ञा। भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत मिठास, खटास, धर्म, थकावट, जवानी, मोटापा, मित्रता जैसे शब्द आते हैं।

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