आज का ज्ञानग्रंथ का यह आर्टिकल भाषा पर आधारित है। जिसमे हम आपको बताने वाले हैं कि भाषा को सहूलियत से बरतने से क्या अभिप्राय है तथा भाषा के महत्व एवं कार्य क्या है? (Bhasha ko sahuliyat baratne se kya abhipray hai)
भाषा की परिभाषा
अपने मन के भावो को लिख कर, बोलकर साझा करने के लिए भाषा का उपयोग होता है। भाषा के द्वारा ही आप विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। आसान भाषा में कहे तो अपनी बात किसी को समझाने या उसके भाव समझने के लिए जिस माध्यम का उपयोग होता है उसे भाषा कहते हैं।
भाषा का महत्व
भाषा अपने विचारो को व्यक्त करने का सबसे सरल तरीका है। मानव जीवन की प्रगति में सबसे मुख्य स्थान भाषा का ही है। भाषा के द्वारा ही साहित्य, कला, सभ्यता एवं संस्कृति का विकास सम्भव है। भाषा के द्वारा ही व्यक्तित्व निर्माण सम्भव है। भाषा के द्वारा ही हम अपने दुःख सुख और जरुरतो के बारे में दुसरो को बता पाते हैं। भाषा के कारण ही हमारे शिक्षक उनके पास अर्जित ज्ञान को आने वाली पीड़ियों के साथ साझा कर पाते हैं। जिससे की विज्ञान और राजनीती जैसे मुख्य क्षेत्रो में हम विकास कर सके। भाषा एक दुसरो को आपस में बांधती है।
भाषा को सहूलियत से बरतने से क्या अभिप्राय है?
भाषा को सहूलियत से बरतने का मतलब होता है भाषा का जब प्रयोग किया जाए जब वह बिलकुल सही तरीके से हो तथा सरल शब्दों में जरुरी उद्देश्य के लिए उपयुक्त हो इन तरीको का उपयोग करना ही भाषा को सहूलियत से बरतना कहलाता है। भाषा शब्दों का वह खेल है जिसमे शब्द अर्थ संदर्भगत होते हैं। शब्दों के संदर्भो का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है।
निष्कर्ष
भाषा के द्वारा ही मनुष्य जीवन इतना व्यवस्थित है भाषा के बिना हम किसी पशु की तरह होते जो केवल खाने के लिए ही जीते। पर भाषा की वजह से ही आज हम एक दुसरो की जरुरतो और भावनाओं को समझ पाते हैं या कहेतो भाषा के बिना मनुष्य एक मूर्ति के समान हो जाता। भाषा के महत्व के साथ साथ आज हमने जाना की भाषा को सहूलियत से बरतने से क्या अभिप्राय है।
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