झूम कृषि किसे कहते हैं?

झूम कृषि किसे कहते हैं और भारत में झूम खेती कहा कहा होती है?

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By Shubham Jadhav

भारत कृषि प्रधान देश है, यहाँ की लगभग 70% आबादी कृषि पर आधारित है। किसान हर मोसम में मेहनत करता है और कृषि करता है इसीलिए हमे खाने के लिए अनाज और सब्जियां उपलब्ध हो पाती हैं। कृषि के बिना जीवन सम्भव नही है यह जीवन का सबसे जरुरी हिस्सा है। वेसे ही कृषि का एक प्रकार है झूम कृषि तो आइये जानते हैं कि झूम कृषि किसे कहते हैं? (Jhoom Krishi Kise Kahate Hain)

झूम कृषि किसे कहते हैं? (Jhoom Krishi Kise Kahate Hain)

झूम कृषि काफी पुरानी कृषि करने की एक पद्धति है, जिसमे जंगलो में पेड़ पोधो को काट कर उन्हें जला दिया जाता है फिर उस जगह खेती की जाती है। इसमें वे बहुत से उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं जैसे पेड़ो को काटने के लिए अलग और खेती के लिये अलग। खेती में खास कर हल का ही उपयोग होता है। इस प्राप्त भूमि पर कुछ ही सालो तक खेती की जा सकती है यहा जीवन भर खेती करना असम्भव है क्योकि ऐसी जगह केवल कुछ वर्षो तक ही उर्वरक रहती है । भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली यह खेती झूम खेती कहलाती है।

भारत में झूम खेती कहा कहा होती है?

भारत में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड राज्यों में झूम खेती होती है।

झारखंड में झूम कृषि को क्या कहते हैं?

झारखंड में झूम कृषि को कुरुवा कहते हैं। झारखंड में पानी की काफी ज्यादा समस्या है इसलिए यहाँ खेती करने में काफी दिक्कते आती है सिंचाई के अभाव में राज्य की 38 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से मात्र 25 हेक्टेयर में ही खेती हो पाती है ।

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