आपदा किसी भी देश के लिए एक अभिशाप है, मोजुदा सरकारे प्राक्रतिक आपदाओ से बचने के लिए अनेको प्रयास करती है परन्तु पूर्ण रूप से सफल नही हो पाती है। लाखो लोग हर साल इन आपदाओ की वजह से अपने प्राण गवा देते है और इन आपदाओ का मुख्य कारण इंसानों द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ और उसका ध्यान नही रखाना है। आइये जानते है मृत्यु का तरल दूत किसे कहा गया है? (Mrityu Ka Taral Dut Kise Kaha Gaya Hai) और इससे क्या क्या नुकसान होता है।
मृत्यु का तरल दूत किसे कहा गया है?
बाढ़ के लगातार बढ़ते हुए जल-स्तर को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा गया है। बाढ़ के बढ़ते हुए जल-स्तर ने जाने कितने लोगों को बेघर कर दिया है और कुछ लोगों व उनके परिवार को मौत की नींद सुला दिया है। जाने कितने लोगों ने बाढ़ के कारण अपने परिवार के सदस्य खोये और न जाने कितने बेघर हुवे इसलिए बाढ़ के बढ़ते जल-स्तर को ‘मृत्यु का टर्न दूत’ भी कहा गया है।
मृत्यु का दूत कहने के कारण
- बाढ़ के बढ़ते जलस्तर के कारण निचले स्थानों की फसलें खराब हो जाती है जिससे राष्ट्र को भी भुखमरी का सामना कर पड़ सकता है।
- कच्चे मकान धराशायी हो जाते हैं और न जाने कितने लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।
- बाढ़ के पानी के कारण कई बार बिजली के खंभे भीधराशायी हो जाते हैं जिससे की जल-जीव मृत्यु के शिकार हो जाते हैं।
बाढ़ के खौफ से लोगों की तैयारियां
बाढ़ की खबर सुनकर लोग अपने जरूरी सामान और सुरक्षा के प्रबंध में जूट जाते हैं। वे बाढ़ के आने के बाद आने वाली विपदाओं से लड़ने की तयारियाँ करने लगते है जिनमे निम्नलिखिन चीज़ें आती हैं :-
- आवश्यक ईंधन
- मोमबत्ती पीने का पानी
- खाद्य सामग्री
- कम्पोज की गोलियॉं
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बीमारियों की आशंका
बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में हैजा, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी-दस्त, पेचिश, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियों के फैलने की संभावना होती है। इसका कारण यह है की बाढ़ के उतरे पानी में अत्यधिक मच्छर पनपते हैं जो की मलेरिया जसे बीमारिया फैलाते हैं। इसके अलावा बाढ़ के दौरान किसी कारण घाव होने से उस घाव के पकने का डर होता है क्योंकि उस पर बाढ़ का गंदा पानी बार-बार लगता है।
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