भारत देश में कई साहित्यकार, रचनाकार, लेखक, कवि और सम्माननीय हस्तियां ऐसी हुई हैं जिनकी अमिट छाप मरणोपरांत भी ज्यों की त्यों ही है। आज के इस लेख में हम ऐसे ही महान लेखक की बात करने जा रहे हैं साथ ही आपके सवाल कलम का जादूगर किसे कहा जाता है? का भी उत्तर आपको इसमें प्राप्त होगा।
कलम का जादूगर किसे कहा जाता है?
रामवृक्ष बेनीपुरी को कलम का जादूगर कहा जाता है।
आखिर कौन हैं ये महान व्यक्ति? चलिए हम आपको बताते हैं।

संक्षिप्त परिचय : रामवृक्ष बेनीपुरी
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसंबर 1899 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बेनीपुर गाँव में हुआ था। वे एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखते थे। उन्होंने अपने पैतृक गाँव यानि बेनीपुर के आधार पर ही अपना उपनाम बेनीपुरी रखा था। बचपन में माता-पिता के गुजर जाने के बाद उनका लालन-पोषण व प्राथमिक शिक्षण ननिहाल में हुआ। बेनीपुरी आज भी एक सफल सम्पादक के रूप में याद किये जाते हैं। वे एक प्रभावशाली भाषा-वाणी के धनी थे एवं उनका व्यक्तित्व आकर्षण व शौर्य की आभा से भरा हुआ था।
मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पूर्व ही वे सन 1920 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाये जा रहे असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन चुके थे और इसी वजह से उन्होंने लगभग 8-9 वर्ष जेल में बिताए थे। बेनीपुरी ने 1931 में बिहार सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की और 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की। इसके अलावा वे 1935 से 1937 तक पटना जिले की कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। 1957 में उन्हें कटरा उत्तर से विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना गया था एवं 1958 में वे बिहार विश्वविद्यालय (अब बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय), मुजफ्फरपुर के सिंडिकेट सदस्य के रूप में चुना गए। 7 सितंबर 1968 को इनका देहांत हुआ।
उनकी रचनाओं में नेत्रदान, जय प्रकाश, विजेता, सीता की माँ, मील के पत्थर, गेहूँ और गुलाब इत्यादि शामिल हैं। इसके अलावा “नींव की ईंट, शेक्सपियर के गाँव में” उनके लेख हैं। इन्होने ‘तरुण भारत’, ‘किसान मित्र’, ‘बालक’, ‘युवक’, ‘कैदी’, ‘कर्मवीर’, ‘जनता’, ‘तूफान’, ‘हिमालय’ और ‘नई धारा’ नामक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
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