कई विद्यार्थी कड़ी मेहनत करता है फिर भी उसे परीक्षा में अच्छ अंक नहीं व्वाते, तो ऐसे में वह यह सोचने पर विवश हो जाता है कि आखिर उसने कहाँ गलती कि है, यदि आपको भी ऐसा लगता है तो आपको वास्तु शास्त्र की तरफ अपना ध्यान करना चाहिए, आइयें जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए?
किस दिशा में बैठ कर पढ़ना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा पढ़ाई के लिए सबसे सही मानी जाती है। बच्चों के अध्ययन कक्ष को दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने से बचना चाहिए। दिशाएं पढ़ाई के लिए बहुत अनुकूल होती हैं और यदि कोई छात्र इन दिशाओं की ओर मुंह करके बैठता है, तो परीक्षा में सफलता की संभावना अधिक होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों के अध्ययन कक्ष को सीढ़ियों के नीचे नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि इससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कमरे की पूर्व और उत्तर की दीवारों पर अलमारियाँ नहीं रखनी चाहिए, जबकि सभी पुस्तक भंडारण अलमारियाँ दक्षिण और पश्चिम की दीवारों पर होनी चाहिए।
अध्ययन कक्ष में मेज और कुर्सियों की व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए कि बैठकर पढ़ते समय बच्चे की पीठ दरवाजे या खिड़की की ओर हो। अध्ययन कक्ष में स्टडी टेबल हमेशा सही आकार की होनी चाहिए और समायोज्य नहीं होनी चाहिए। आयताकार या चौकोर आकार की मेज रखने की सलाह दी जाती है, स्टडी टेबल के सामने वाली दीवार पर प्रेरक पोस्टर लटकाना चाहिए और वह स्थान खाली नहीं होना चाहिए।
बच्चों के अध्ययन कक्ष को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि पढ़ाई के समय उनका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार कॉपी-किताब को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। कॉपी-किताबों के लिए खुले रैक का उपयोग करने से बचें।
कॉपी-किताब की अलमारी साफ रहे। सामान की व्यवस्थित व्यवस्था बनाए रखें। अध्ययन कक्ष में पुस्तकें रखने के लिए सर्वोत्तम दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है, जो वास्तु के अनुसार उत्तर-पूर्व है। पढ़ाई में एकाग्रता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए साफ-सुथरा वातावरण और व्यवस्थित स्टडी टेबल बनाए रखने से प्रभावी एकाग्रता में मदद मिलती है।
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