क्या मृत्यु का समय टल सकता है?

क्या मृत्यु का समय टल सकता है?

No Comments

Photo of author

By Shubham Jadhav

आज आप जानना चाहते है कि क्या मृत्यु का समय टल सकता है? तो हम इसमें आपकी मदद करेंगे।

क्या मृत्यु का समय टल सकता है?

जी नही, मृत्यु का समय नही टल सकता है, मृत्यु अटल है। जो भी इस धरती पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है। इन्सान की मृत्यु को टालना किसी के लिए भी संभव नही हैं। कहा जाता है की व्यक्ति की मृत्यु उसके जन्म के समय ही लिखी जा चुका होती है की यह कितने समय तक जीवित रहेगा और इसकी मृत्यु किस प्रकार या किन कारणों से होगी।

मृत्यु शाश्वत सत्य है यानिकी यह ऐसा सत्य है जिसमे कोई भी परिवर्तन नही कर सकता है। जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु जरुर कभी न कभी न होगी ही। पुराने लोगो का मानना है कि मौत की अवधि पहले ही लिखी जा चुकी है। कुछ लोगो की मृत्यु बचपन में ही हो जाती है कुछ जवानी तक जीवित रहते हैं तथा जिनकी मृत्यु बुडापे में लिखी गयी है उनकी मृत्यु निश्चित ही वृद्धावस्था में ही होती है।

हिन्दू धर्म में किसी की मृत्यु हो जाती है उसकी आत्मा की शांति और उसके पुर्नजन्म के लिए बहुत सी पूजा पाठ की जाती है जैसे पिंड दान, पितृ पक्ष के श्राद्ध आदि। साथ ही मृत्यु के बाद नर्क और स्वर्ग मिलता है जो व्यक्ति के कर्मो के आधार पर होता है, यदि कोई अच्छे कर्म करता है तो उसे स्वर्ग मिलता है तःता जो बुरे कर्म करता है उसे नर्क भोगना पड़ता है। इस तरह की मान्यताएं लगभग हर धर्म में है इस्लाम में भी जन्नत तथा जहन्नम का जिक्र होता है।

मृत्यु पर वैज्ञानिको के शौध केवल शरीर के अस्थिर हो जाने तक ही समिति है पर पौराणिक कथाओं और ग्रंथो में मृत्यु के पश्चात होने वाली गतिविधियों के बारें में भी लिखा गया है। हिन्दू धर्म में आपके कर्मो का लेखा झोखा चित्रगुप्त के पास होता है और यमराज को मृत्यु का देवता बताया गया है जो काले रंग के सांड पर बैठ कर आते हैं और आपको मृत्यु लोग यानिकी पृथ्वी से ले जाते हैं।

कई बार वह लोग जो मृत्यु को नजदीक से देख चुकें हैं वह बताते हैं कि उन्होंने यमराजो को आते हुए देखा है पर किन्ही कारणों से वह उन्हें नहीं ले गये हैं पर यह केवल हिन्दू धर्म के लोगों का कहना था, जो लोग बोद्ध धर्म को मानते हैं उनका कहना है कि जो लोग उन्होंने देखा कि वह गौतम बुद्ध के साथ एक सुन्दर से रास्ते पर है। इससे सिद्ध होता है कि मरते समय या मौत से बच कर आने वाले लोगों को मान्यताओं के आधार पर ऐसे आभास होते हैं जो उनके धर्म में माने जाते हैं।

हर व्यक्ति की अपने साथ वाले से भावनाएं जुडी होती है इसीलिए किसी की मृत्यु के बाद काफी दुःख होता है, मृत्यु अटल सत्य है पर असमय या वृद्धावस्था से पहले होने वाली मृत्यु साथ वालो को ज्यादा क्षति पहुचती हैं क्योकि हर कोई अपने साथ वालो के साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहता है। व्यक्ति की आजीवन अनुपस्थित दिल को आघात पहुचाती है और बार बार उस व्यक्ति की याद आती है जिसकी मृत्यु हो चुकी है इसीलिए मौत को सबसे दुःख दाई बताया गया है। पर संसार में कोई अमर नहीं है यह शरीर एक न एक कार्य करना बंद जरुर कर देता है उसका कारण चाहे जो भी हो इसे ही मृत्यु कहा गया है तथा भावनाओं के जुड़ें होने के कारण किसी की भी मृत्यु उसके साथ वालो के लिए बहुत ही दुख भरी होती है।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment