पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होती है तथा आश्विन माह की अमावस्या तक पितृ पक्ष होते है।हिन्दू धर्म में माना जाता है कि पितृ पक्ष के दोरान पूर्वज पृथ्वी पर आते है तथा संतानों से आशा रखते है कि वे उनके लिए श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करेंगे पर यदि संताने ऐसा नहीं करती है तो पितृ नाराज़ हो जाते है और संताने पाप की भागी बनती है, जिससे की जीवन में समस्याएँ बनी रहती है। पितृ पक्ष के दोरान हमे बहुत सी चीजो को करने से बचना चाहिए वरना आप पाप के भागी बन सकते है जैसे तामसिक भोजन, नशा आदि का सेवन नही करना चाहिए। कई लोग सोचते है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पितृ पक्ष में हो जाती है तो क्या यह अशुभ होता है तो आगे इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे की पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ या अशुभ।
पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ या अशुभ
मृत्यु का समय निश्चित नहीं है और नहीं हम मृत्यु के समय को निश्चित कर सकते हैं यह विधि के विधान पर ही निर्भर है, बहुत से लोगो का यह प्रश्न होता है कि यदि किसी की मृत्यु पितृ पक्ष के दौरान हो जाएँ तो क्या यह शुभ होता है या ऐसा होना अशुभ माना जाता है। हिन्दू धर्म में जो पितृ पक्ष में मृत्यु को प्राप्त करते है उन्हें स्वर्ग मिलता है, इस समय स्वर्ग के द्वार खुले रहते है तथा जिस किसी की भी पितृ पक्ष में मृत्यु होती है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिस भी व्यक्ति की मृत्यु इस समय में होती है वह भाग्यशाली होता है। यदि कोई व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने प्राण त्यागता है तो यह उसके लिए शुभ ही होता है, पितृ पक्ष में वैसे कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं परन्तु यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, पितृ पक्ष के दौरान पितृ यांकी पूर्वजो की आत्माएं धरती पर ही रखती है जिस कारण यदि किस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसे स्वर्ग का रास्ता मिल जाता है।
क्यों जरुरी है श्राद्ध
पितृ पक्ष में किये जाने वाले श्राद्ध पितरो को खुश करने के लिए किये जाते हैं, और यदि कोई सन्तान श्राद्ध नहीं करती है तो उसके जीवन के कई तरह की कठिनाइया आ सकती है। जो लोग पितरो का श्राद्ध नहीं करते हैं उनका जीवन अत्यधिक मुसीबतों से भर सा जाता है, और उन्हें मृत्यु के पश्चात नर्क जाना पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति आस्था के साथ पितृ पक्ष में श्राद्ध करता है तो उसके पूर्वज उसे धन सम्पति, स्वास्थ्य, दीर्घायु होने का आशीर्वाद देते हैं। इसीलिए हर कोई पितृ पक्ष में श्राद्ध रखता हैं और पितरो को प्रसन्न करने की कोशिश करता है, कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता है कि उसके पितृ उससे नाराज़ रहें और उसे कठिन समय का सामना करना पड़े।
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