बड़ती महंगाई का असर सब पर हो रहा है, जिस कारण लोग बचत नहीं कर पा रहें हैं तथा खाद्य और पेय वस्तुओं तक में मिलावट करने लगे हैं ताकि ज्यादा पैसा कमाया जा सकें। जैसे ही मिलावट की बात आती हैंतो सबसे पहले पानी में दूध मिलाने की बात आती है क्योकि यही मिलावट सबसे आम और सरल है तथा कई लोगों द्वारा की जाती है ताकि दूध की मात्रा बड़ा कर ज्यादा कमाई की जा सकें। दूध निर्माता डेरी पर अपना दूध बेचता है तथा डेरी वाला मिलावटी दूध से बचने के लिए कुछ तरीको का उपयोग करता है, जिनके बारें में आज हम जानने वाले हैं। एक यंत्र होता है जिसका नाम है लैक्टोमीटर जिसके द्वारा दूध में पानी की मात्रा की जाँच की जाती है आगे हम इसी यंत्र की जानकारी देने वाले हैं और साथ ही आपको यह भी बताएँगे की लैक्टोमीटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
लैक्टोमीटर क्या होता है?
लैक्टोमीटर आपको हर डेरी पर देखने के लिए मिल जाएगा क्योकि यह दूध की शुद्धता को मापता है तथा इस बात की जानकारी देता है कि दूध कितना शुद्ध है और इसमें कितना पानी मिलाया गया है। दूध में जितना पानी मिलाया जाता है उतनी दूध की गुणवता प्रभावित होती है तथा उसका घनत्व कम होता जाता है, इसी के आधार पर यंत्र कार्य करता है इस यंत्र को हिंदी में दूधमापी शुद्धता यंत्र कहा जा सकता है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें कि इस लैक्टोमीटर का आविष्कार Dicas नामक वैज्ञानिक ने किया था जो Liverpool के एक प्रसिद्द साइंटिस्ट थे।
लैक्टोमीटर केसे काम करता है?
यह एक कांच का यंत्र है जो दूध के घनत्व के द्वारा उसकी शुद्धता की जांच करता है, इस यंत्र को दूध में डुबाया जाता है तथा यदि दूध का घनत्व कम होता है तो दूध शुद्ध होता है तथा धनत्व कम होता है तो यह दर्शाता है कि दूध में मिलावट की गयी है। दूध को एक बर्तन में डालने के बाद उसमे लैक्टोमीटर डाला जाता है यदि रीडिंग 25 से 30 मध्य होती है तो दूध की गुणवता को उत्तम माना जाता है वरना दूध में मिलावट की गयी है।
लैक्टोमीटर किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
लैक्टोमीटर “आर्कमिडीज के सिद्धांत” पर कार्य करता है, इस सिद्धांत के अनुसार किसी तरल माध्यम में किसी वस्तु पर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थपित तरल के भार के बराबर होगा।
सूत्र = E = mg = pf g V
E = उत्प्लावन बल,
pf = द्रव का घनत्व,
g = गुरुत्वजनित त्वरण,
V = द्रव द्वारा हटाये गये द्रव का आयतन
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