नमस्ते दोस्तों ! आज आप महादेवी वर्मा जी के बारे में जानना चाहते है। परीक्षाओ में भी इनसे संबंधी बहुत से प्रश्न पूछे जाते है जैसे कि महादेवी वर्मा जी का जन्म कहा हुआ था? कब हुआ था? आदि तो आज हम महादेवी वर्मा का जीवन परिचय Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay आपके लिए लाये है यहां आपको उनसे जुडी हुई काफी सारी जानकारी मिल जाएगी।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
जन्म
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश राज में हुआ था। यह सुन कर हर कोई अचम्भित हो जाता है की इनके परिवार में पुरे 200 सालो बाद किसी लड़की का जन्म हुआ था। उनके घर वाले उनके जन्म से ही उन्हें महादेवी मानने लगे और उनका नाम भी महादेवी रखा। इनके पीता का नाम गोविन्द प्रसाद था जो कॉलेज में प्राध्यापक हुआ करते थे। इनकी माता बड़ी धार्मिक थी वे हर रोज रामायण गीता का पाठ करती थी। इनके माता पीता बिलकुल अलग विचारो वाले थे जहा उनकी माता इतनी धार्मिक थी वही उनके पिताजी नास्तिक एवं मांसाहारी थे।
शिक्षा
विवाह के कारण उनके शिक्षा में थोड़ी समस्याए आयी पर कुछ समय की स्थिरता के बाद उन्हने पुनः स्कूल प्रारम्भ कर दिया था । इन्होने अपनी शिक्षा का प्रारम्भ मिशन स्कूल से किया था जो इंदौर में था। यह पढाई में काफी अच्छी थी इन्होने 1921 में कक्षा 8 में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया था। उनकी महाविद्यालय की मित्र थी सुभद्रा कुमारी चौहान।
वैवाहिक जीवन
महादेवी वर्मा का विवाह श्री स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ था। महादेवी वर्मा का कभी इस विवाह में रहने का मन नहीं रहा परन्तु उनके कहने के बावजूद भी श्री स्वरूप नारायण वर्मा ने दूसरी शादी नहीं की थी। उनके बिच कोई मन मुटाव नहीं था फिर भी ना जाने क्यों ऐसी परिस्तिथि बन गयी थी। महादेवी वर्मा ने अपना जीवन सती की तरह बिताया था जो केवल सफ़ेद वस्त्र पहनती थी।
रचनाएँ
कविता संग्रह में नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942), सप्तपर्णा (अनूदित 1959), प्रथम आयाम (1974), और अग्निरेखा (१९९०) इनकी प्रमुख रचनाएँ है। रेखाचित्र में अतीत के चलचित्र (1941) और स्मृति की रेखाएं (1943) उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है। इनका निबंध संग्रह निबंध संग्रह
श्रृंखला की कड़ियाँ (1942), विवेचनात्मक गद्य (1942), साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (1962), संकल्पिता(1969) है।
FAQs
महादेवी वर्मा का जन्म फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश राज में हुआ था। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इनके परिवार में पुरे 200 वर्षों बाद किसी पुत्री का जनम हुआ था।
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