“निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे।।“ यह पंक्तियाँ सूरदास जी ने लिखी है जिसमे गोपियां श्री कृष्ण को संबोधन देते हुए कहती हैं कि हे श्याम! जब से तुम ब्रज छोडकर मथुरा गए हो, तभी से हमारे नयन नित्य ही वर्षा के जल की भांति बरस रहे हैं अर्थात् तुम्हारे वियोग में हम दिन-रात रोती रहती हैं। इन पंक्तियों में एक शब्द है, निसिदिन जिसे बोल चाल की भाषा में निशि दिन भी कहते हैं। आईये जानें निशि दिन का अर्थ क्या है – Nishi Din Ka Arth Kya Hai?
Nishi Din Ka Arth Kya Hai?
निशि दिन का अर्थ क्या है: यदि हम निसिदिन का विग्रह करे तो होगा निसि+दिन अर्थात रात-दिन इसके और भी अर्थ है जेसे सदा, प्रतिदिन आदि। निचे हमने इसके और भी कई पर्यायवाची दिए हैं जिससे आपको इसका सही अर्थ समझने में सहायता मिलेगी।
निशिदिन के पर्यायवाची :-
1. जनम-जनम
2. सर्वदैव
3. हरदम
4. निसवासर
5. सदा-सदा
निष्कर्ष:
इस लेख में आपने जाना कि Nishi Din Ka Arth Kya Hai – निशिदिन का अर्थ क्या है? यह सूरदास जी की पंक्तियों में से लिया गया शब्द है जिसे उन्होंने “निसिदिन” लिखा है परन्तु इसे हम बोलचाल की भाषा में Nishi Din (निशि दिन) कहते हैं।
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