भारत वर्ष ऋषि मुनियों एवं कवियों का देश है। इस पावन भूमि पर कई महान कवि हुए हैं जिनमे से एक है गोस्वामी तुलिसदास जी। जिन्होंने रामायण जैसे अद्वितीय ग्रन्थ का अनुवाद कर उसे जन जन तक पहुँचाया जिसे हम सभी “रामचरितमानस” के नाम से जानते हैं। तुलसीदास जी को हिंदी के सर्वश्रेठ कवियों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल का अधिकतम समय वाराणसी और अयोध्या में बिताया है। वाराणसी में गंगा पर जो तुलसी घाट है वह उन्ही के नाम पर रखा गया है। तुलसीदास जी के जीवन से सम्बंधित तथ्य उनकी रचनओं में ही मिल जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसीदास जी के गुरु कौन माने जाते हैं – Tulsidas Ke Guru Kaun Mane Jaate Hain?
जैसा कि उनकी एक रचना में तुलसीदास जी ने लिखा है ‘रामहि प्रिय पावन तुलसी सी। तुलसीदास हितहिय हुलसी सी।’ जिसमें उनकी माता का नाम हुलसी आता है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने जन्म लेते ही राम नाम लिया था इसलिए उनका नाम रामबोला रखा गया था।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!तुलसीदास जी के गुरु कौन माने जाते हैं ?
तुलसीदास जी के गुरु श्री नरहरिानंद जी (नरहरिदास बाबा) थे। जिनका जन्म उत्तरप्रदेश के रायबरेली जिले के पखरोली कसबे में हुआ था। श्री नरहरिानंद जी मुख्यत: ब्रजभाषा के कवि थे। नरहरिानंद जी ने जब रामबोला को तुलसी के पौधे के नीचे सोता देखा तो उनका नाम तुलसीदास रखा।
FAQs
तुलसीदास जी के आराध्य देव प्रभु श्री राम हैं।
तुलसीदास जी की माताश्री का नाम उनकी रचनाओं में देखने को मिलता है। ‘रामहि प्रिय पावन तुलसी सी। तुलसीदास हितहिय हुलसी सी।’ उनकी माता का नाम हुलसी देवी था।
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