लेख में मनुष्य के लिए सुख की प्राप्ति कब संभव है इस विषय पर चर्चा कि गयी है। यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर व्यक्ति अपनी अपनी वर्तमान परिस्थिति के अनुसार देता है।
मनुष्य के लिए सुख की प्राप्ति कब संभव है?
मनुष्य की आदत है कि वह हमेशा अधिक की इच्छा रखता है जिस कारण उसके लिए सुख की प्राप्ति शायद जीवन में कभी भी सम्भव ना हो। मनुष्य धन को प्राथमिकता देता है और स्वास्थ्य को गवा देता है फिर उसके लिए धन से ज्यादा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हो जाता है और जब स्वस्थ होता है तब धन अर्जित करने में लगा रहता है।
अगर महान लोगो की बात मानी जाए तो मनुष्य के लिए सुख की प्राप्ति तब ही सम्भव है जब वह अपने मन को काबू में रखना सिख जाता है क्योकि मन बहुत ही चंचल होता है उसे काबू कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है यह आपकी इच्छाओं को बढाता रहता है जिस कारण आप कभी भी परिपूर्ण महसूस नही कर पाते हैं और परिपूर्ण महसूस ना करने की वजह से आप कभी सुख का अनुभव नही कर पाते हैं।
सबसे बड़ा सुख मन की शांति है और इसके लिए आपको खुद को यह बताना होता है कि जो भी आपको मिल रहा है उसमे ईश्वर का योगदान है हो सकता है आपका बुरा समय भी आपको कुछ अच्छा दे कर जाए। इसलिए परिस्थिति को जितना हो सके ईश्वर का निर्णय मानना ही सुख है।
इच्छाए समय के साथ परिवर्तित हो जाती है इसलिए वर्तमान इच्छा को ही जीवन का सुख मानना गलत है, आज आपको जिस की जरूरत है हो सकता है कल वह आपके किसी काम ही ना रहे इसीलिए सोच समझ कर निर्णय लेना और सही के लिए मेहनत करना ही उचित है और इससे प्राप्त सुख ही वास्तविक सुख होता है।
आज के समय में स्वार्थ भावना इतनी बड़ चुकी है कि लोग अपने फायदे व सुख के लिए लोगो का नुकसान करने में बिलकुल भी नही सोचते हैं पर कर्मो का फल उन्हें जीवन में कभी न कभी तो मिलता ही है इसलिए खुद के लिए ही हर पल सोचना गलत है जरुरतमन्दो की मदद करना ही वास्तविक सुख है।
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