पापमोचनी एकादशी का महत्व

पापमोचनी एकादशी का महत्व

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By Shubham Jadhav

इस लेख में पापमोचनी एकादशी का महत्व दर्शाया गया है।

पापमोचनी एकादशी का महत्व

चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है। हर वर्ष में 24 एकादशी आती है अर्थात हर माह में 2।

माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती हैं। जो भी इंसान इस दिन विधि विधान से पूजा करता है उसके जीवन से पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख समृद्धि मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, इस दिन गाय के दान से आपको पुण्य मिलता है व व्यक्ति को मोक्ष का अधिकार मिल जाता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि:

सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें फिर षोडशोपचार विधि के द्वारा भगवान विष्णु की पूजा प्रारम्भ करें। उन्हें धूप, दीप, फूल, चंदन, फल आदि चड़ाए। पूजा पूर्ण होने के बाद के बाद कथा पढ़ें फिर भगवान विष्णु की आरती कर दें। इस दिन जो व्रत किया जाता उसमे अन्न का सेवन न करते हुए फलो का सेवन करते है। इस दिन दान का बड़ा महत्व है इसीलिए गरीबो को दान जरुर करें।

कथा

सुंदर वन के ऋषि थे जिनका नाम था च्यवन और उनके पुत्र का नाम मेधावी। यह धर्मिक कामो में लगे रहते थे. एक बार जब मेधावी तपस्या कर रहा था तभी वहा से एक अप्सरा गुजरी जिसका नाम था मंजूघोषा और यह अप्सरा मेधावी को आकर्षित करने लगी पर मेधावी को आकर्षित नही कर सकी। यह सब कामदेव देख रहे थे और उन्होंने मंजूघोषा की सहायता की और मंजूघोषा मेधावी को आकर्षित करने में सफल रही दोनों साथ में रहने लगे पर एक दिन मेधावी को अपने कर्मो का ध्यान आया और उसने विचार किया कि किस प्रकार मंजूघोषा ने उसकी तपस्या भंग कर उसे आकर्षित किया था और वो यह विचार करने के बाद वह क्रोधित हो गये और उन्होने मंजूघोषा को पिशाचिनी बनने का श्राप दे दिया। पर जब मंजूघोषा ने बहुत अनुरोध किया की उसे श्राप से मुक्ति दिला दें तब मेधावी ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा और वह इस प्रकार अपने पाप से मुक्त हो सकी।

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