बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि पूजा और आरती में अंतर होता है? यदि आप भी उन लोगों में शामिल है तो यह लेख आपके लिए हैं इसमें आपको पूजा और आरती में अंतर बताया गया है।
पूजा और आरती में अंतर – Puja and Aarti
पूजा
पूजा ईश्वर के प्रति भक्ति और श्रद्धा दिखाने का कार्य है। पूजा का अर्थ है भगवान की भक्ति करना। हिंदू धर्म में पूजा को एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान मानते हैं। भगवान को स्नान कराना, टीका लगाना, चंदन लगाना, आरती करना और भोग लगाना जैसे दैनिक कार्य करना हमारे जीवन का हिस्सा हैं। पूजा शब्द का प्रयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जिसमें फूल, फल, पत्ते, चावल, मिठाई और पानी जैसे साधारण दैनिक प्रसाद के साथ-साथ घरों या मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि पूजा की शुरुआत देवता के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के एक तरीके के रूप में हुई।
आरती
पारंपरिक हिंदू घराने में, आरती आमतौर पर सुबह और शाम दोनों समय आयोजित की जाती है। आरती भगवान की अपार महिमा की याद दिलाती है, और दीपक की वह ज्योति जिस लौ को हम पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक मानते हैं इसमें सबसे प्रमुख है। आरती में दीपक को भगवान के सामने घुमाया जाता है तथा पूजा का समापन आरती के द्वारा किया जाता है। आरती का यह अनुष्ठान दीपक की रोशनी, अगरबत्ती की सुगंध, घंटियों की गूंज, हाथों की तालियों और एक अनोखी आरती के गायन के माध्यम से अंधेरे को मिटाता है। आरती में एक दीपक के भीतर एक छोटी सी लौ प्रज्वलित करना और उसे देवता के चारों ओर घुमाना, मन को संतुष्टि देना और पूजा की पूर्ति का संकेत देना शामिल है।
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