हिन्दू धर्म में कई मंत्र मौजूद है जिनका उपयोग पूजा पाठ के दोरान किया जाता है, तथा इनका जाप करने से हमें सुख समृद्धि मिलती है, धन लाभ होता है, तथा ईश्वर हमारे सारे कष्ट हर लेते हैं। पूजा करने के कई नियम होते हैं तथा कुछ आवश्यक सामग्री के साथ ही पूजा को सम्पन्न किया जा सकता है, आज के लिए लेख में आप जानेंगे कि पूजा के नियम क्या होते हैं तथा पूजा पाठ करते समय किन सामग्रियों की जरूरत होती है। और रोज पूजा में बोले जाने वाले मंत्र कौनसे हैं?
पूजा विधि के नियम व सामग्री
पूजा स्थान पर प्रतिदिन काम आने वाली सामग्री रखे जैसे – धुपबत्ती, अगरबत्ती, घी, चन्दन, दीपक, बत्तिया, माचिस, चन्दन आदि। प्रतिदिन नये फूल का उपयोग करें और शुद्ध जल का प्रयोग ही करना चाहिए।
पूजा करते समय चमड़े की बनी वस्तु का उपयोग न करें जैसे बेल्ट, आसन आदि। पूजा में हाथ से बनी तुलसी माला का उपयोग करें, घर के मन्दिर के आस पास सफाई का ध्यान रखें, स्नान के बात ही पूजा करें।
रोज पूजा में बोले जाने वाले मंत्र
हिन्दू धर्म में कई मंत्र उपयोग किये जाते हैं जैसे गणपति स्तोत्र, शिव स्तुति, विष्णु स्तुति, श्री कृष्ण स्तुति, श्रीराम वंदना, सरस्वती वंदना, हनुमान वंदना आदि। आप अपने ईष्ट देव के अनुसार मंत्र का चयन कर सकते हैं तथा आरती या पूजा के बाद कर्पूरगौरं करना न भूले यह विशेष मंत्र है इसके बिना पूजा सम्पन्न नहीं होती है।
शिव स्तुति
कर्पूर गौरम करुणावतारं,
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे,
भवं भवानी सहितं नमामि॥
गणपति स्तोत्र
गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।
विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥
श्रीराम वंदना
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
विष्णु स्तुति
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
श्री कृष्ण स्तुति
कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्॥
हनुमान वंदना
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥
कर्पूरगौरं मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
मंगलम भगवान् विष्णु
मंगलम गरुड़ध्वजः
मंगलम पुन्डरी काक्षो
मंगलायतनो हरि
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