हमारा अन्तरिक्ष काफी बड़ा है इसका न प्रारम्भ का पता लगाया जा सकता है न ही अंत का। और इसी अन्तरिक्ष में कई गृह, तारे, उल्कापिंड, ब्लैक होल मौजूद है। अन्तरिक्ष हमेशा से ही एक रौचक विषय रहा है, इतिहास में भी अन्तरिक्ष पर कई खोजे हुई है और आज भी हम इस अंतरिक्ष में नई नई चीज़े खोज रहें हैं। आये दिन अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अन्तरिक्ष में रोकेट भेजते रहते हैं ताकि हम महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित कर सके और इस विशाल अंतरिक्ष को अच्छे से समझ सकें। जब भी अंतरिक्ष में जाने की बात होती है तो हमारे दिमाग में यह सवाल आ ही जाता है कि पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने में कितना समय लगता है? यदि आपके दिमाग में भी यह प्रश्न है तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े।
पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने में कितना समय लगता है?
अंतरिक्ष में जाने के लिए रॉकेट का उपयोग होता है, और इस रॉकेट की गति ही यह तय करती है अंतरिक्ष में जाने में कितना समय लगेगा। अंतरिक्ष पृथ्वी की एक निर्धारित सीमा के बाहर का वह क्षेत्र है जहाँ अन्य गृह, तारे आदि स्थित हैं। पृथ्वी से 100 km ऊपर एक काल्पनिक कर्मन रेखा है जिसके बाहर के क्षेत्र को अन्तरिक्ष कहा जाता है। इस क्षेत्र के बाद उपग्रह वायुगतिकीय लिफ्ट की आवश्यकता के बिना पृथ्वी की परिक्रमा कर सकते हैं।
कर्मन रेखा क्या है?
कर्मन रेखा, जिसे पहली बार 1957 में हंगेरियन-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थियोडोर वॉन कर्मन द्वारा सुझाया गया था, एक काल्पनिक सीमा के रूप में कार्य करती है जो अंतरिक्ष की बाहरी सीमा को परिभाषित करती है। कर्मन रेखा, जो समुद्र तल से लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) ऊपर स्थित है, उस बिंदु को चिह्नित करती है जहां पृथ्वी का वायुमंडल इतना पतला हो जाता है कि यह विमान के लिए लिफ्ट बनाए रखना चुनौती भरा होता है।
स्पेसएक्स का फॉल्कन हेवी रॉकेट मात्र 3 मिनट 24 सेकेंड में इस रेखा को पार कर सकता है इसका सफ़ल परीक्षण हो चुका है, अंतरिक्ष से बाहर जाने पर रॉकेट की गति बढ़ जाती है क्योकि रॉकेट पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के क्षेत्र से बाहर चला जाता है। अन्तरिक्ष में जाने के लिए बहुत ही शक्तिशाली रॉकेट इंजन की जरूरत होती है जो रॉकेट को पृथ्वी के ऑर्बिट से बाहर ले जा सकें।
आपने देखा होगा की रॉकेट सीधा अन्तरिक्ष में जाने के बजाय एक घुमावदार प्रक्षेप पथ का अनुसरण करता है, रॉकेट को पृथ्वी की सतह से प्रक्षेपित किया जाता है तब उसे अंतरिक्ष तक पहुँचने के लिए कम से कम 7.9 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति की आवश्यकता होती है।
अन्तरिक्ष में जाने पर आपके शरीर में कई तरह के बदलाव हो सकते हैं, जैसे खून के बहाव की दिशा बदल जाती है जिस कारण चेहरा गोल हो जाता है, नज़रे कमजोर हो सकती है, शरीर की लम्बाई बढ़ने लगती है, मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, कैंसर का खतरा रहता है, अनिद्रा और तनाव हो सकता है आदि।
FAQs
पृथ्वी से 100km ऊपर अंतरिक्ष है।
अंतरिक्ष में या चंद्रमा पर प्रकाश बिखेरने के लिए कोई वातावरण नहीं होता है इसलिए अंतरिक्ष में अँधेरा रहता है।
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