सेंगोल क्या है

सेंगोल क्या है? नए संसद भवन में मोदी सरकार करेगी स्थापित, जानिए भारत के ‘राजदंड’ का महत्व

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By Shubham Jadhav

मोदी सरकार नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना करने जा रही है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पीएम मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे और वह इसे नए संसद भवन के अंदर रखेंगे। यह सेंगोल स्पीकर की सीट के पास रखने की योजना है। क्या आप जानते हैं कि यह सेंगोल क्या है? अगर नहीं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़े।

सेंगोल

सेंगोल क्या है? (Sengol Kya Hai)

सेंगोल एक तरह का राजदंड है, जिसे जवाहरलाल नेहरु ने तमिलनाडु की जनता से स्वीकार किया था। उन्होंने दिनांक 14 अगस्त 1947 को 10:45 बजे इस सेंगोल को स्वीकार किया था। इस सेंगोल को सत्ता के हस्तांतरण का संकेत रूप में जाना जाता है। सेंगोल शब्द तमिल भाषा के एक शब्द सेम्मई से बना हैं. सेम्मई का अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। यह सेंगोल इन्ही तीन चीजो का प्रतीक माना गया है, साथ ही यह बहुत ही पवित्र माना जाता है।

सेंगोल का इतिहास

प्राचीन काल से ही इस सेंगोल का बड़ा महत्व है, चोल काल के समय भी सेंगोल का उपयोग राज्याभिषेक के दौरान किया जाता था। इस समय बेहतरीन सजावट के साथ सेंगोल को प्रस्तुत किया जाता था इसे बनाने में सोने की छड़ी का उपयोग होता था, साथ ही कीमती पत्थरों को भी लगाया जाता था। यह सेंगोल राजाओं की शक्ति, सच्चाई और संप्रभुता को प्रदर्शित करता था। हस्तांतरण का प्रतीक  माना जाने वाला सेंगोल आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता का प्रतीक भी माना जाने लगा है। इस सेंगोल को 1947 में उनके वंशजों ने ही इस राजदंड को अंतिम वायसराय के आग्रह पर बनाया था।

अमित शाह जी का कहना है कि इस सेंगोल के लिए संसद भवन के अलावा कोई और उचित स्थान नहीं हो सकता है इसीलिए इस सेंगोल को देश एक संसद भवन को समर्पित किया जा रहा है।

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