भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र और धार्मिक महीना है, इस महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है, कावड़ निकाली जाती है, शिव जी को जल चढ़ाया जाता है। तथा सावन सोमवार के व्रत किये जाते हैं जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर आपकी सारी मनोकामनाए पूर्ण करते हैं तथा आपके कष्टों का अंत कर देते हैं। आइये जानते हैं कि श्रावण मास का महत्व क्या है?
श्रावण मास का महत्व क्या है?
वैसे तो साल के किसी भी भी दिन शंकर जी की पूजा की जा सकती है पर माना जाता है कि इस महीने में शंकर भगवान की आराधना करने से शंकर भगवान शीघ्र ही आपकी प्रार्थना स्वीकार कर लेते हैं और आपको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। सोमवार का दिन शिव जी को ही समर्पित है इसके लिए श्रावण के सोमवार का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। श्रावण का हर दिन महत्वपूर्ण होता है इसके लिए इस माह को पर्व के रूप में मनाया जाता है।
देवी पार्वती और सावन
सावन माह में माता पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए घोर तपस्या तथा व्रत किया था, जिसके बाद शिवजी प्रसन्न हो गये थे और उन्होंने उनसे विवाह किया था। इसके लिए माना जाता है कि शिव जी इस माह में अपने ससुराल गये थे जहाँ उनका अभिषेक जल से किया गया था। इसके लिए कहा जाता है कि इस माह में वह हर वर्ष ससुराल आते हैं तथा उनका जलाभिषेक करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं।
समुद्र मंथन
समुद्र मंथन भी इसी माह में किया गया था तथा इस समुद्र मंथन के दौरान कई चीजे निकली थी जैसे कामधेनु गाय, लक्ष्मी माता, अमृत, चंद्रमा, रंभा, ऐरावत, अमृत तथा हलाहल विष आदि। इस समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था ताकि वह विष इस संसार का नाश न कर सके और इस संसार को बचाने के लिए उन्होंने वह विष पीया। विष पीते समय माँ पार्वती ने उनके कंठ पर हाथ रख कर उस विष को वही रोक दिया था जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया था इसके लिए उन्हें नीलकंठ भी कहते हैं। विष के प्रकोप को कम करने के लिए भगवान ने शिवजी पर जल अर्पित किया था जिसके बाद से ही शिव जी पर जल चढ़ाने की प्रथा है।
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