स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को हुआ था। इन्हें आज भी एक महान आध्यात्मिक गुरु और हिन्दू धर्म के प्रचारक के रूप में जाना जाता है। इनके गुरु का नाम राम कृष्ण परम हंस था, स्वामी विवेकान्द अपने गुरु राम कृष्ण परम हंस से काफी प्रभावित थे और इन्हें सानिध्य में ही वे आध्यात्म से जुड़े थे। स्वामी विवेकान्द हिन्दू धर्म और संस्कृती का हमेशा प्रचार करते थे, आज आप जानेंगे कि स्वामी विवेकानंद ने शादी क्यों नहीं की थी?
स्वामी विवेकानंद ने शादी क्यों नहीं की?
स्वामी विवेकानन्द एक सन्यासी थे और हिन्दू धर्म में एक सन्यासी विवाह नहीं करता है तथा ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, स्वामी विवेकानंद अपने गुरु से प्रभावित थे तथा उन्होंने आध्यात्म को और अच्छे से जानने के लिए ब्रह्मचर्य को अपनाया था और इसके चलते ही उन्होंने कभी शादी नहीं की थी। बहुत से लोगों का मानना है कि स्वामी विवेकानन्द बहुत ही गरीब थे जिस कारण उन्होंने शादी नहीं की थी पर हम इस तथ्य की पुष्टि नहीं करते हैं।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!स्वामी विवेकानन्द के गुरु ने उनकी योग्यता को पहचान लिया था तथा वह चाहते थे कि स्वामी विवेकानन्द आध्यात्म को और अधिक जाने तथा अपना सम्पूर्ण ध्यान योग और धर्म में लगाएं। इसके लिए उन्होंने भी उन्हें शादी न करने की सलाह दी थी।
एक विदेशी महिला ने एक बार स्वामी जी से कहा कि मेरा बेटा भी बिल्कुल आपके जैसा ही हो इस लिए में आपसे शादी करना चाहती हूँ, यह सुन स्वामी जी ने कहा कि ऐसा होना असंभव है, क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। फिर उन्होंने आगे कहा कि भले ही मैं आपसे शादी नहीं कर सकता लेकिन आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकता हूं।महिला ने स्वामी से पूछा कि वह कैसे होगा? तभी स्वामी विवेकानंद ने कहा कि आप मुझे ही अपना बेटा मान लीजिए और ऐसा करने से आपको मेरे जैसा ही बेटा भी आपको मिल जाएगा और में सन्यासी भी बना रहूँगा। स्वामी विवेकानंद की बातों को सुन महिला उनके चरणों में गिर गई।
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