विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है?

विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है?

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By Shubham Jadhav

यह प्रश्न बहुत ही महत्व रखता है और साथ ही इस कथन का भी बहुत ही गहरा अर्थ है। आज के इस लेख में आप जानेंगे विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है? और इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है?

यह कथन एक प्रसिद्द अमेरिकी मनोवेज्ञानिक, शिक्षक और लेखक द्वारा कही गयी है जिनका नाम है जॉन डीवी। इनका जन्म 20 अक्टूबर, वर्ष 1859 को संयुक्त राज्य अमेरिका के बर्लिंगटन नामक शहर में हुआ था। इस कथन के माध्यम से जॉन डीवी कहना चाहते है कि विद्यालय में जाने वाले छात्र तथा छात्राएं समाज का निर्माण करते है तथा जो वे स्कूल के द्वारा सिखाते है उसे ही अपने जीवन में अपनाते है इसीलिए विद्यालय को समाज का दर्पण कहा गया है। विद्यालय में ज्ञान की प्राप्ति होती है जैसा हमारे पास ज्ञान होगा वैसे ही चरित्र का निर्माण होगा। इसीलिए विद्यालय से प्राप्त ज्ञान को इतना महत्व दिया जाता है जितना सकारात्मक ज्ञान हमारे मस्तिष्क में अर्जित होगा उतना ही हम समाज व देश के लिए कार्य कर पाएँगे।

शिक्षा हर किसी के जीवन में महत्व रखती है, हर किसी का शिक्षित होना बहुत जरुरी है एक शिक्षित समाज देश की उन्नति के लिए अच्छे से कार्य कर पाता है। शिक्षित समाज दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चलता है और आत्मविश्वाश के साथ कार्य कर पाता है।

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