आज आप जानेंगे कि विशिष्ट आवश्यकता वाले बालक का क्या अर्थ है?
विशिष्ट आवश्यकता वाले बालक का क्या अर्थ है?
इस संसार में हर कोई एक समान नही है ईश्वर में हर किसी को अलग अलग बनाया है। हर किसी की सोचने समझने की शक्ति अलग अलग है तथा शारीरिक शक्ति भी एक समान नही होती है। पहले लोग किसी इन्सान के विकलांग होने को उसके पिछले जन्म के कर्मो को माना करते थे पर जैसे जैसे लोग शिक्षित होते गये ऐसी भावना रखना लोगो में कम हो गया है। विशिष्ट आवश्यकता वाले बालक या “विशिष्ट बालक” उन्हें कहा जाता है जो सामान्य बालको से अलग होते हैं जो या तो प्रतिभाशाली होते हैं या फिर विकलांक पर सामान्य नही होते हैं। प्रतिभाशाली बालक बहुत ही बुद्धिमान तथा कला संगीत, गणित जैसे विषयों में निपूर्ण हो सकते हैं और दुसरे विकलांग या शारीरिक रूप से अक्षम हो सकते हैं जो मंदबुद्धि, नेत्रहीन, बधिर – मुख बधिर, चलने– फिरने में असमर्थ आदि होए हैं।
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