हर महापुरुष ने शिक्षा के महत्व को समझा है और इसे महत्वपूर्ण बताया है। उसी प्रकार स्वामी विवेकानंद ने भी शिक्षा पर अपने विचार साझा किये हैं, स्वामी विवेकानंदजी एक महान धार्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने अपना जीवन केवल मानवता और लोगो की सहायता करने में ही गुजारा था। इन्हें हिन्दू धर्म की लगभग हर धार्मिक पुस्तक का ज्ञान था साथ ही यह इस ज्ञान को बाटते रहते थे, इनके विचारो को आज भी उतना ही महत्व दिया जाता है जितना उस समय इनके विद्यार्थी दिया करते थे। आगे आप इस लेख में स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार (swami vivekananda on education quotes) और संदेशो को जानेंगे।
स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार – Vivekananda Quotes on Education in Hindi
ज्ञान व्यक्ति के मन में विद्यमान हैं वह स्वयं ही सीखता है।
मन वचन तथा कर्म की शुद्ध आत्मा नियंत्रण है।
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान, ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है |
कुछ, बड़ा करने वालों की शुरूआत इस चीज़ से होती है कि मुझे अपनी लाइफ में आम बन कर नही रहना..!
सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है: वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता, पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल है.
ज्ञान को समन्वित करके प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
विचार-विमर्श एवं उपदेश विधि द्वारा ज्ञानार्जन किया जाना चाहिए।
जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सके और विचारों का सामंजस्य कर सकें वहीं वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है।
धार्मिक शिक्षा, पुस्तकों से नहीं वरन् व्यवहार, आचरण एवं संस्कारों के माध्यम से दी जानी चाहिए।
शिक्षा गुरुगृह में ही प्राप्त की जा सकती है।
स्वधर्म की पूर्ति शिक्षा का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इसके द्वारा, स्वामीजी ने सुझाव दिया कि दूसरों की नकल करने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं द्वारा विकास करना चाहिए। प्रत्येक बच्चे को उसकी आंतरिक प्रकृति के अनुसार विकास के अवसर दिए जाने चाहिए।
आत्मविश्वास, मानव सेवा, साहस, सत्य की अनुभूति, मानव व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास, विविधता में एकता आदि शिक्षा के लक्ष्य थे।
जिस अभ्यास से मनुष्य की इच्छाशक्ति, और प्रकाश संयमित होकर फलदाई बने उसी का नाम है शिक्षा।
विद्यार्थी की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन होना चाहिए
शिक्षा बालक का शारीरिक मानसिक नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास करता है।
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है
कामयाब होने के लिए अपनी मेहनत पर विश्वास करना जरूरी है, किस्मत तो जुए में आजमायी जाती है।
धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं
शिक्षक तथा छात्र में आदर तथा गरिमामय सम्बन्ध होने चाहिए।
ज्ञान की प्राप्ति के लिए केवल एक ही मार्ग है और वह है ‘एकाग्रता
शिक्षार्थियों को उचित मार्ग पर अग्रसरित करने हेतु परामर्श विधि! का उपयोग किया जाना चाहिए।
हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो चरित्र का निर्माण करे, मन को मजबूत करने और आध्यात्मिक चेतना विकसित करने में मदद करता है
शिक्षा से बालक की चरित्र का गठन हो मन का बल बड़े तथा बुद्धि विकसित हो जिससे वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके।
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
आप सफलता तब तक नही प्राप्त कर सकते जब तक आप में असफल होने का साहस न हो.
दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते है
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं है
सफलता और असफलता दोनों हमारे जीवन का हिस्सा हैं लेकिन कोई भी शाश्वत नहीं है।
नारी शिक्षा का केन्द्र धर्म होना चाहिए।
एकाग्रता की शक्ति ही ज्ञान के खजाने की एकमात्र कुंजी है।
बालक तथा बालिका दोनों को समान शिक्षा मिलनी चाहिए।
पवित्रता, धैर्य और उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
अपने सपनों को जिन्दा रखिए| अगर आपके सपनों की चिंगारी बुझ गई है तो इसका मतलब यह है कि आपने जीते जी आत्महत्या कर ली है
एक आदमी एक रुपये के बिना गरीब नहीं है लेकिन एक आदमी सपने और महत्वाकांक्षा के बिना वास्तव में गरीब है।
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
Educational Views of Swami Vivekanand in Hindi
उन बिचारों और ज्ञान को स्वीकार करने की आवश्यकता है जो आपको मजबूत बनाते हैं, और उन बिचारों को दूर करने की जरुरत हैं जो आपको कमजोर करते हैं।
स्वामी विवेकानन्द ने आध्यात्मिक उन्नति के साथ ही लौकिक समृद्धि को भी आवश्यक माना है। यही कारण है कि उन्होंने पाठ्यक्रम में आध्यात्मिक विषयों के साथ-साथ लौकिक विषयों को भी समावेशित किया है।
ज्ञान का दान मुक्तहस्ट होकर, बिना कोई दाम लिए करना चाहिए।
गुरु के प्रति विश्वास, नम्रता, विनय, और श्रद्धा के बिना हममें धर्म का भाव पनप नहीं सकता
किसी भी इंसान की इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प उसे भिखारी से राजा बना सकती
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ
आकांक्षा, अज्ञानता, और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं. जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
तब तक कोई आपको शिक्षित नहीं कर पाएगा जब तक आप स्वयं प्रयास नहीं कर रहे हैं एक बात जो आपको याद रखनी चाहिए, अपनी खुद की आत्मा से बड़ा कोई गुरु नहीं है।
FAQs
स्वामी विवेकानंद का अनमोल वचन क्या है?
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।
स्वामी विवेकानंद के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
स्वामी विवेकानंद के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के कड़ी मेहनत करे नथा मानवता और धर्म के लिए जीवन जिए।