एक स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ी पूंजी है। हमे स्वस्थ शरीर का महत्व तब पता चलता हिया जब हम किसी बीमारी से घिर जाते है तभी हमे ज्ञात होता है की स्वस्थ शरीर कितना जरुरी है। इसीलिए स्वस्थ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस पोस्ट में हम जानेंगे की राजाओं वाली बीमारी किसे कहते हैं और इसके लक्षण और उपाय क्या है?
राजाओं वाली बीमारी
गाउट (gout) को राजाओं वाली बीमारी कहते हैं, यह एक तरह का गठिया रोग (वात रोग) है, इसमें जोड़ों के अंदर सोडियम यूरेट के क्रिस्टल बनने लगते है। यह बिमारी 30 की उम्र के बाद होती है। यह बिमारी यूरिक एसिड के क्रिस्टलों का जमाव घुटनों के आस पास हो जाने से होता है। यह बहुत धीमी गति से होने वाली क्रिया है। यह अधिकांश मोटे और उच्च रक्तचाप या मधुमेह से जूझ रहे लोगो में पाई जाती है। इसे “शाही बीमारी” भी कहा जाता है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!महिलाओं में यह बिमारी पुरुषो की तुलना में कम होती है क्योकि महिला प्रजनन चक्र के समय निकलने वाला महिला हार्मोन एस्ट्रोजन गुर्दे के माध्यम से यूरिक एसिड के उत्सर्जन को बढाता है और शरीर में उरिक एसिड की मात्रा नही बढ़ती है।
लक्षण
कुछ मामलो में पैर के अंगूठे के आधार पर टखने तथा अंगूठे के बीच का जोड़ प्रभावित हो जाता है। और कुछ मामलो में ड़ियां, घुटने, कलाइयां और उंगलियां, भी प्रभावित हो जाती है। तेज जोड़ो का दर्द रात के समय सोने से कुछ घंटो पहले होता है। कुछ पीडितो में थकान और उच्च ज्वर भी देखा गया है। एड़ियों में सूजन आना, बैठने और उठते समय एड़ियों में दर्द, पैरों और जोड़ों में दर्द भी इसके लक्षण है।
गाउट का इलाज
गाउट (वात रोग) का मुख्य इलाज दवाओं द्वारा ही किया जाता है। पर एक अच्छी दिनचर्या आपके शरीर में यूरिक एसिड को कम कर सकती है, यदि आपका वजन ज्यादा है तो सबसे पहले आपको वजन कम करने की कोशिश करना चाहिए।
इसके मरीज़ को आहार से मांस मछली, गोभी, किशमिश, दही को पूरी तरह हटा देना चाहिए। गाउट से ग्रसित इंसान को अपने आहार में अरहर की दाल, दलिया, खिचड़ी, लौकी, परवल, करेला, बथुआ, पपीता, खीरा, टमाटर, गाजर, सेब, अनार, अंगूर, मूंग की दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, हल्दी, लौंग, काली मिर्च, ग्रीन टी, मक्खन, जौं, गेहूं आदि को शामिल करना चाहिए।
गाउट को ही राजाओं वाली बीमारी कहा जाता है इसमें जोड़ो सम्बन्धित समस्याए (वात रोग) होती है। इसका इलाज़ सम्भव है। आपको अपना वजन कम करने और डेली व्यायाम करने की जरूरत होती है। इसे शाही बीमारी भी कहा जाता है।
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