यह हिन्दुओ का एक मुख्य पर्व है जिसे बड़े उत्साह से मनाया जाता आ रहा है। गणेश चतुर्थी को पुरे देश में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है पर महाराष्ट्र में यह एक अगल ही स्तर पर आयोजित किया जाता है। यहाँ गणेश जी की बड़ी बड़ी मुर्तिया एक सुंदर से बने हुए पांडाल में स्थापित की जाती है। और फिर 11 दिन बाद ढोल आदि के साथ गणेश जी की प्रतिमा को नदी या समुद्र में बड़े सम्मान के साथ विसर्जित किया जाता है। हिन्दू धर्म में अनेक भगवान है उही मेसे एक है गणेश जी जिनके बहुत से भक्त है जो उन्हें अपना इष्ट प्रभु मानते है और हर बुधवार को उनके मंदिर में जा कर उनकी पूजा आराधना करते है। गणेश जी पूजा करने से हमारे सभी दुःख दूर होते है और हमारी मनोकामना पूरी होती है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि गणेश चतुर्थी कब है 2022 (Ganesh Chaturthi Kab Hai) व क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी कब है 2022 (Ganesh Chaturthi Kab Hai)
2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को दिन बुधवार के दिन है। हिन्दू कालान्तर के अनुसार गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाई जाती है। इसी दिन घर घर तथा पंडालो में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है तथा चतुर्दशी के दिन पूजा पाठ कर भगवान गणेश जी की प्रतिमा को नदी, तालाब, कुए,समुद्र आदि में सम्मान के साथ विसर्जित कर दी जाती है। इन दिन पुरे देश में बने पंडालो में भगवान गणेश की पूजा बड़ी धूम धाम से की जाती है जिसमे वाद्य यंत्र, गायक आदि भी होते है। एवं बहुत सी जगह अनेक प्रकार के कार्यक्रम तथा मनोरंजन और जागरूकता के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। अनेक प्रकार की सुंदर, अनोखी व दुर्लभ मूर्तियों को देखने के लिए तथा भगवान गणेश जी के सुंदर पंडालो को देखने के लिए इस त्यौहार पर बाजारों में भीड़ लगी रहती है। आरती के समय अत्यधिक मात्रा में श्रदालु भगवानके पंडाल में आ कर आरती का आनन्द लेते है और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते है। गणेश चतुर्थी पर हर किसी के घर में एक सुंदर सी गणेश जी की प्रतिमा की प्रतिदिन आरती की जाती है।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसीलिए इसी दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन पंडालो में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना कर सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरवात लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सन 1893 में की थी। इस पर्व को प्रारम्भ करने का एक उद्देश्य यह भी था की जनता को अंग्रेजो से आज़ाद करने के लिए उनसे सम्पर्क की आवश्यकता थी और हिन्दू पर्व इसका एक अच्चा जरिया थे। बाल गंगाधर तिलक एक स्वतंत्रा सेनानी थे जिनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गाँव चिखली में हुआ था। यह भारत तथा हिन्दू संस्क्रती के पक्षधर से जिस वजह से अंग्रेजो के द्वारा इन्हें कई बार जेल में भी डाल दिया था।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है इन दिनों भगवान गणेश की आरधना करने से तथा उनका पूजन से घर में सुख समृद्धि और वृद्धि आती है। गणेश जी को विनायक भी कहा जाता है इसलिए गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहते है। श्रीगणेश को विद्या-बुद्धि और समस्त सिद्धियों के दाता कहा जाता है इनकी आरधना करने से बुद्धि में विकास होता है।
गणेशजी के प्रमुख 12 नाम
- सुमुख,
- एकदंत,
- कपिल,
- गजकर्णक,
- लंबोदर,
- विकट,
- विघ्न-नाश,
- विनायक,
- धूम्रकेतु,
- गणाध्यक्ष,
- भालचंद्र,
- गजानन।
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