हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पूर्व सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य की जाती है। सत्य को नारायण विष्णु जी के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। पंडित अजय देशमुख के अनुसार सत्यनारायण भगवान की कथा में अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस प्रकार की समस्या आती है। इस कथा का वाचन पूर्णिमा के दिन किया जाता है|यदि आप अपने घर या प्रतिष्ठान पर सत्यनारायण कथा करवा रहे हैं या इसके बारे में सोच रहे हैं तो जानिए क्या है Satyanarayan Katha Samagri List – सत्यनारायण कथा सामग्री लिस्ट |
Satyanarayan Katha Samagri List
सत्यनारायण भगवान की कथा में निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है –
पूजा में –
- पंचामृत
- पंचगव्य
- सुपारी
- पान
- तिल
- मोली
- रोली
- कुमकुम
- दूर्वा
पंचामृत हेतु –
दूध, मधु, केला, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है जो भगवान नारायण को अत्यंत प्रिय है।
पूजा में प्रसाद के रूप में –
पूजा में प्रसाद के रूप में फल, मिष्टान्न के अतिरिक्त आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर एक प्रसाद बनता है जिसे सत्तू ( पँजीरी ) कहा जाता है|
हज़ारों यज्ञों के बराबर मिलता है फल
वेदों के अनुसार इस कथा को सुनने व करने से हजारों वर्षों के यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस सम्बन्ध में व्रत कथा में निम्न श्लोक मिलते हैं-
यत्कृत्वासर्वदु:खेभ्योमुक्तोभवतिमानव:। विशेषत:कलियुगेसत्यपूजाफलप्रदा। केचित् कालंवदिष्यन्तिसत्यमीशंतमेवच। सत्यनारायणंकेचित् सत्यदेवंतथाऽपरे। नाना रूपधरोभूत्वासर्वेषामीप्सितप्रद:। भविष्यतिकलौविष्णु: सत्यरूपीसनातन:।
अर्थात् – सत्यनारायण व्रत का अनुष्ठान करके मनुष्य सभी दु:खों से मुक्त हो जाता है। कलिकाल में सत्य की पूजा विशेष रूप से फलदायीहोती है। सत्य के अनेक नाम हैं, यथा-सत्यनारायण, सत्यदेव। सनातन सत्यरूपीविष्णु भगवान कलियुग में अनेक रूप धारण करके लोगों को मनोवांछित फल देंगे।
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