किसी भी सजीव प्राणी के लिए भोजन बहुत ही आवश्यक होता है बिना भोजन के जीवित रहना असम्भव है उसी प्रकार हर कोशिका, जीवाणु, विषाणु का ऊर्जा का कोई ना कोई स्त्रोत होता है जिससे कि वे जीवित रह पाते है। अमीबा जो एककोशिकीय जीव है यह भी भोजन ग्रहण करता है आइये जानते है कि अमीबा किस अंग से भोजन ग्रहण करता है?
अमीबा क्या है?
अमीबा एक प्रकार का जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में एक वंश है जो जातियाँ नदियों, तालाबों, मीठे पानी की झीलों में पाया जाता है। अमीबा एक एककोशिकीय प्रोटोजोआ संघ का प्राणी है जो रंगहीन और अनियमित आकार का जन्तु है जो सूक्ष्मदर्शीय होता है। अमीबा की खोज रसेल वान रोसेनहोफ ने 1755 में कि थी।
यह इतना सूक्ष्म है कि इनकी कुछ प्रजातीय 1/2 मि.मी. व्यास की भी होती है। कोशिकारस जो कोशाकला (प्लाज़्मालेमा) के द्वारा सुरक्षित रहता है यह पाचन में मुख्य भूमिका निभाता है। दृढ और लचीली अर्धपारगम्य झिल्ली से घिरा हुआ अमीबा कुछ छोटे घुलनशील अणु को अंदर बाहर कर सकता है। अमीबा से अमीबायसिस या अमीबा पेचिश होता है जो जानलेवा बीमारिया है।
अमीबा की प्रजनन क्रिया एक घंटे की होती है जिसमे अमीबा सर्वप्रथम गोल आकार का हो जाता है और इसके केंद्रक दो केंद्रकों में बँट जाते हैं साथ ही जीवरस भी बट जाता है और यह एक से दो अमीबा में बदल जाते है।
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अमीबा किस अंग से भोजन ग्रहण करता है
अमीबा के आस पास की प्लाज्मा झिल्ली कूटपाद कहलाती है यही कूटपाद खाद्य पदार्थ को चारो और से घेर कर प्लाज्मा झिल्ली की मदद से गड्ढ़ानुमा संरचना बना कर उसमे खाद्य पदार्थ को उसमे समहित रखता है और फिर यही गड्ढ़ा अन्नधानी का रूप ले कर अमीबा के भोजन का पाचन होता है। अमीबा के आस पास जो छोटे बैक्टीरिया, एलगी या अन्य पौधे या मृत जीव होते हैं यही उसके भोजन के स्त्रोत होते है। पाचन के बाद चलनक्रिया के द्वारा यह अपाच्य भोजन का परित्याग करता है। श्वसन के साथ साथ उत्सर्जन की क्रियाएँ भी अमीबा के बाहरी तल पर सभी स्थानों पर होती हैं।
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