आरोग्यवर्धिनी वटी आयुर्वेद में उपयोग होने वाली एक प्रमुख दवा है। क्या आप इस दवा के बारे में सर्च कर कर के थक गए है? तो हम यहाँ आपके लिए लेकर आये है आरोग्यवर्धिनी वटी की प्रमाणिक जानकारी। आप इस लेख में आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे, चिकित्सकीय उपयोग, शास्त्रोक्त निर्माण विधि, इसके घटक एवं संभावित नुकसान के बारे में पढेंगे।
कृपया लेख को अंत तक पढ़ें जिससे की आरोग्यवर्धिनी वटी की किसी भी जानकारी से आप चूक न जाएँ एवं इस औषधि के बारे में आपको सभी जानकारी हो।
आयुर्वेद में लगभग सभी रोगों के लिए प्रथक – प्रथक औषधियाँ है। आप अगर चरक संहिता, माधव निदान, सुश्रुत संहिता या सिद्ध योग संग्रह जैसे ग्रन्थ पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि हमारी यह परम्परागत चिकित्सा पद्धति कितनी वैज्ञानिक है।
आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है | What is Arogya Vardhini Vati ?
आरोग्यवर्धिनी वटी आयुर्वेद की शास्त्रोक्त औषधि है अर्थात इसका उपयोग एवं बनाने की विधि का वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथों में पुरातन समय से ही उपलब्ध है। आरोग्यवर्धिनी वटी का तात्पर्य है कि जो वटी (गोली) हमें आरोग्य प्रदान करे अर्थात शरीर को रोगमुक्त करे वह आरोग्यवर्धिनी वटी कहलाती है।
दवा की सामान्य जानकारी इस टेबल के माध्यम से समझ सकते है।
दवा का नाम | आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini VAti) |
प्रकार | वटी/गुटिका (Tablets) |
सन्दर्भ ग्रन्थ | र.र.स. |
उपयोग | पाचन, हृदय, मोटापा, सामान्य ज्वर |
मात्रा | 1 से 2 गोली चिकित्सक परामर्शानुसार |
निर्माता | सभी आयुर्वेदिक फार्मेसी |
आयुर्वेद में आरोग्यवर्धिनी वटी के विभिन्न फायदे बताये गए है। चलिए सबसे पहले आपको इसके फायदों एवं चिकित्सकीय उपयोगों की जानकारी देते है।
आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे एवं उपयोग | Benefits and Clinical uses of Arogyavardhini Vati
इस आयुर्वेदिक औषधि के विभिन्न रोगों में फायदे मिलते है। यहाँ निचे हमने इस दवा के विभिन्न रोगों में होने वाले चिकित्सकीय उपयोगों एवं फायदों के बारे में बताया है।
पाचन को सुधारने में फायदेमंद (Benefits of Arogyavardhini vati in Indigestion problems)
इस औषधि का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा पाचन विकृतियों में करवाया जाता है। यह पाचन को सुधारती है एवं इसमें उपस्थित रसायन भूख न लगने या अजीर्ण, अपच जैसे रोगों में लाभ देता है। यह पाचन संसथान के सभी विकारों में लाभदायक है।
मोटापा हटाती है आरोग्यवर्धिनी वटी (Benefits in Obesity of Arogyavardhini vati in Hindi)
इसमें उपस्थित मलशोद्धक गुण मल से सम्बंधित समस्याओं में लाभ करते है। यह शरीर में अतिरिक्त चर्बी को काटने का कार्य करती है। अपने मलशोद्धक गुणों के कारण मोटापे में यह औषधि लाभदायक साबित होती है। साथ ही चर्बी को कम करने के साथ साथ पाचन को भी सुचारू रखती है जिससे मोटापे से निजात मिलती है।
कुष्ठरोग की प्रारम्भिक अवस्था में फायदेमंद (Beneficial in the early stages of leprosy)
आरोग्यवर्धिनी वटी कुष्ठ रोग की प्रारंभिक अवस्था में शीघ्र लाभ करती है। हालाँकि पुराने कुष्ठरोग में अर्थात जब रक्त और मांस दूषित हो, मवाद बह रही हो तो यह लाभदायक नहीं है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा इसका उपयोग वात और कफ प्रधान कुष्ठ रोग में किया जाता है।
आँतों की समस्या में लाभदायक है आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati is beneficial in
intestinal problems)
यह दवा छोटी एवं बड़ी आंत की विकृति को दूर करती है। यह पाचक रस की उत्पति करती है एवं यकृत को बल देती है। आँतों के रोगों में इस औषधि के साथ चिकित्सक अन्य औषध योगों का सेवन भी बताते है।
त्वचा विकार में फायदेमंद (Benefits of Arogyavardhini vati in Skin problems)
त्वचा से सम्बंधित समस्याएँ रक्त की अशुद्धि के कारण होती है। एसे में यह दवा रक्त को शुद्ध करके त्वचा विकारो को दूर करती है। त्वचा पर पड़ने वाले लाल चकते, खुजली एवं मुंहासों में भी इसके सेवन से लाभ मिलते है।
शरीर की पोषक ग्रंथियों की विकृति में फायदे (Benefits in the pathology of the nutritional glands of the body)
पोषक ग्रंथियों की कमजोरी के कारण शरीर का विकास रुक जाता है। जवानी आने पर भी पुरुष एवं स्त्रियों में जवानी के लक्ष्ण प्रकट नहीं होते उनका शरीर निर्जीव सा दिखाई देता है। एसे में इस दवा के निरंतर उपयोग से पोषक ग्रंथियों का विकास होता है एवं शरीर के सर्वांगीं विकास में लाभ मिलता है।
कब्ज में आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे (Arogyavardhini vati benefits in constipation)
आरोग्यवर्धिनी वटी कब्ज को खत्म करने का कार्य करती है। यह पाचन को सुधारती है एवं मलबद्धता को दूर करती है। अगर कब्ज के साथ अपचन की समस्या है तो भी इस औषधि का प्रयोग फायदेमंद होता है। आरोग्यवर्धिनी वटी का प्रयोग कब्ज में अन्य सहऔषधियों के साथ करवाया जा सकता है।
हृदय की कमजोरी में आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini Vati in weakness of heart)
हृदय की कमजोरी में आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ पुनर्नवादी क्वाथ का सेवन करने से हृदय को बल मिलता
है। बद्धकोष्ठता दूर होती है एवं रक्त में रक्तकणों की मात्रा बढती है। हृदय अपना कार्य सुचारू रूप से करने
लगता है। अत: हृदय कमजोरी में आयुर्वेदिक चिकित्सक आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग करवाते है।
आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक | Ingredients of Arogyavardhini vati in Hindi
इस औषधि में निम्न घटक जड़ी – बूटियां उपस्थित रहती है।
- गंधक = 1 भाग
- पारद = 1 भाग
- ताम्र भस्म = 1 भाग
- लौह भस्म = 1 भाग
- अभ्रक भस्म = 1 भाग
- गुग्गुलु = 4 भाग
- चित्रकमूल = 4 भाग
- शिलाजीत = 3 भाग
- हरड = 2 भाग
- बहेड़ा = 2 भाग
- आंवला = 2 भाग
- कुटकी = समान
- निमपत्र स्वरस = भावनार्थ मर्दन के लिए
इसकी निर्माण विधि एवं जड़ी-बूटियों के बारे में आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा हुआ है –
रसगन्धकलोहाभ्रशुल्वभस्म समांशकम्।
त्रिफला द्विगुणा प्रोक्ता त्रिगुणं च शिलाजतु।।
चतुर्गुणं पुरं शुद्धं चित्रमूलञ्च तत्समम्।
तिक्ता सर्वसमा ज्ञेया सर्वं सञ्चूर्ण्य यत्नत।।
निम्बवृक्षदलाम्भोभि मर्दयेद्द्विदिनावधि।
ततश्च वाटिका कार्या क्षुद्रकोलफलोपम़ा।।
मण्डलं सेविता सैषा हन्ति कुष्ठान्यशेषत।
वातपित्तकफोद्भूताञ्ज्वरान्नाना विकारजान्।।
सर्वरोगप्रशमनी श्रीनागार्जुनचोदिता।। र.र.स. 20/87-93
देया पञ्चदिने जाते ज्वरे रोगे वटी शुभा।
पाचनी दीपनी पथ्या ह्द्या मेदोविनाशिनी।।
मलशुद्धिकरी नित्यं दुर्धर्षं क्षुत्प्रवर्तिनी।
बहुना।त्र किमुक्तेन सर्वरोगेषु शस्यते।।
आरोग्यवर्धनी नाम्ना गुटिकेयं प्रकीर्तिता।
खुराक एवं सावधानियां
यह औषधि पूर्ण रूप से सुरक्षित है। इसके कोई भी ज्ञात साइड इफेक्ट्स नहीं है। खुराक के रूप में इसे 250 mg से 500 mg सुबह – शाम चिकित्सक की सलाह अनुसार सेवन की जा सकती है।
गर्भवती स्त्रियों को इसका सेवन बैगर चिकित्सक के सलाह के नहीं करना चाहिए। साथ ही जिनके शरीर में पित्त अधिक बनता हो उन्हें भी वैद्य सलाह से ही उपयोग में लेनी चाहिए। निचे दी गई टेबल के माध्यम से आप इसकी खुराक अच्छे से समझ सकते है।
0 से 5 वर्ष | मात्रा उपलब्ध नहीं |
5 से 15 वर्ष | 1 गोली |
15 वर्ष से अधिक वयस्क | 1 से 2 गोली दिन में दो बार |
बुजुर्ग | 1 से 2 गोली दिन में दो बार |
गर्भवती महिला | चिकित्सक परामर्श अनुसार |
FAQs
इस दवा का सेवन 1 से 2 गोली दिन में दो बार चिकित्सक सलाह अनुसार लेना चाहिए।
कब्ज, पाचन, हृदय विकार, सामान्य दुर्बलता, मोटापा एवं ज्वर रोग में आरोग्यवर्धिनी वटी फायदेमंद है।
बैद्यनाथ, पतंजलि, डाबर एवं धूतपापेश्वर आदि फार्मेसी की दवाएं अच्छी होती है।
गर्भवती स्त्रियों के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी सेवन से पहले चिकित्सकीय सलाह आवश्यक है।
इसका मूल्य विभिन्न फार्मेसियों का अलग – अलग है। यह सामान्यत: 80 रूपए से लेकर 130 रूपए तक 40
टेबलेट का पैक उपलब्ध हो जाता है।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –