अस्पृश्यता उन्मूलन देश के लिए बहुत ही जरुरी है। छुआ छुत समाज को पीछे की और धकेलती है जो देश व धर्म नकारात्मक आसर डालता है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि अस्पृश्यता उन्मूलन क्यों आवश्यक है?
अस्पृश्यता का अर्थ है
अस्पृश्यता का अर्थ होता है न छूना। इसे आम भाषा में ‘छूआ-छूत’ कहते हैं। अस्पृश्यता का मतलब होता है कि किसी व्यक्ति, जाती या समूह के लोगों के शरीर को छूने से बचना अस्पृश्यता कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि उच्च जाति के लोग नीची जाती के लोगो को यदि छू लेते है तो वह अशुद्ध हो जाते है। उन्हें पवित्र गंगा-जल से स्नान करना पड़ता है।
अस्पृश्यता उन्मूलन क्यों आवश्यक है?
अस्पृश्यता उन्मूलन का अर्थ है छुआ छुत को जड़ से उखाड़ फेकना आने वाली पीडिया इस तरह की किसी भी परम्परा का पालन ना करे। स्पृश्यता के कारण समाज में भेदभाव और असमानता पैदा होती है जिससे एक नकारात्मक माहोल का निर्माण होता है इसलिए अस्पृश्यता उन्मूलन की आवश्यकता है। अस्पृश्यता जब ही समाप्त हो सकती है जब समाज में विश्वबंधुत्व की भावना होगी और हर वर्ग शिक्षित होगा।
संविधान के अनुच्छेद 17 के अनुसारअब कोई भी व्यक्ति दलितों को पढ़ने, मंदिरों में जाने और सार्वजनिक सुविधाओं का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता। ऐसा करने पर उस पर केस दर्ज किया जा सकता है।
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