भाई दूज का त्यौहार भाई बहन का त्यौहार है इस दिन बहन अपने भाई को तिलक करती है, उसे भोजन करवाती है और उसकी स्वस्थ दीर्घायु की कामना करती है। भाई बहन का रिश्ता एक अनोखा रिश्ता है जिसमे बिना स्वार्थ तथा बिना शर्तो के एक दुसरे का ख्याल रखा जाता है। भाई बहन के इसी प्रेम का प्रतीक है यह भाई दूज का त्यौहार।
कब है भाई दूज?
2023 में भाई दूज 15 नवम्बर 2023 के दिन मनाया जाएगा। हिंदू केलेंडर के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। तिलक लगाते समय एक मंत्र का उच्चारम करना चाहिए जो इस प्रकार है।
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।
भाई दूज का महत्व
हिंदूओं के प्रमुख त्योहारो में एक भाईदूज का त्यौहार भी है। यह त्यौहार दीपावली से 2 दिन बाद मनाया जाता है, भाई दूज पर बहन अपने भाई को तिलक के समय थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत और सुपारी रख कर तिलक करती है तथा उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। स्कंदपुराण में बताया गया है कि भाई दूज पर यमराज को प्रसन्न करने से सारी इच्छा पूर्ण होती है।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
भाई दूज की कथा से आप जान जाएँगे कि भाई दूज पर्व क्यों मनाया जाता है। यमराज तथा यमुना भाई बहन थे। यमुना और यमराज के बीच बड़ा स्नेह था यमुना अधिकतर यमराज को अपने घर खाने के लिए बुलाया करती थी परन्तु यमराज बात को टाल दिया करते थे और खाना खाने के लिए नही आते थे।
फिर एक दिन यमुना ने यमराज को खाना खाने आने के लिए वचनबद्ध कर दिया और उस दिन कार्तिक शुक्ल का दिन था, यमराज खाना खाने के लिए तैयार हो गये और खाना खाने के बाद अपनी बहन का इतना प्रेम देख कर उससे वरदान मांगने के लिए कहा तो यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आए और मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे, यह सुनने के बाद यमराज में तथास्तु कहा और इसी दिन से भाई दूज का त्यौहार प्रारम्भ हो गया।
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