Govardhan Puja 2023 : हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा वाले दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और उसकी की पूजा की जाती है। दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनो का होता है पहले दिन धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी के दिन यम देव की पूजा होती है, तीसरे दिन मुख्य दिवाली तथा चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है तथा उनकी भी पूजा आराधना की जाती है तथा अन्नकूट किया जाता है।
गोवर्धन पूजा वाले दिन अन्नकूट का बेहद महत्व है, मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली पर सात दिन तक उठा कर ब्रज वासियों को वर्षा से बचाया था, उन्होंने इस संकट से पशु और पक्षियों की भी रक्षा की थी। इसीलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है साथ ही गौ माता तथा भगवान कृष्ण की भी पूजा अर्चना करने का रिवाज है।
ज्ञानग्रंथ का WhatsApp Channel ज्वाइन करिये!इस दिन भूलकर भी न करें ये 5 काम
बंद कमरे में न करें पूजा
बंद कमरे में गोवर्धन पूजा करने से इसका लाभ नही मिलता है। कभी भी गोवर्धन पूजा बंद कमरे में नही करना चाहिए। कहा जाता है कि बंद कमरे में गोवर्धन पूजा करना अशुभ है तथा इससे सुख समृद्धि की हानि होती है। इसीलिए गोवर्धन की पूजा या तो आंगन में करे या फिर घर की छत पर।
गायों का अपमान न करें
गोवर्धन पूजा वाले दिन गाय का अपमान करने से घोर पाप लगता है वेसे तो गाय का किसी भी दिन अपमान नही करना चाहिए, गाय माता को हिन्दू धर्म में विशेष दर्जा दिया गया है। गोवर्धन पूजा वाले दिन गाय की भी पूजा की जाती है उन्हें गुड़ तथा रोटी खिलाई जाती है इसीलिए इस दिन गाय का अपमान करने से आपके जीवन पर इसका बुरा असर पड़ता है। इस दिन कृष्ण भगवान की भी पूजा होती है और स्वयं कृष्ण गाय को माता मानते थे तथा उसनी सेवा करते थे।
इस दिन काले और गंदे कपड़े न पहनें
अगर आप गोवर्धन पूजा का पूर्ण लाभ लेना चाहते है तो आपको इस दिन काले और गंदे कपडे बिलकुल भी नही पहनना चाहिए ख़ास कर सुहागन महिलाओ को क्योकि यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ख़ास माना गया है और उनके द्वारा की गयी पूजा पाठ से पुरे घर में सुख समृद्धि आती है।
अकेले न करें पूजा
गोवर्धन पूजा को कभी भी अकेले नही किया जाता है ऐसा करना अशुभ माना है, अगर ऐसी परिस्थित आ जाए की घर पर केवल एक की इंसान है तो किसी अन्य रिश्तेदारों को बुला कर समूह में ही पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है कि समूह में पूजा करने से ही इस पूजा का लाभ मिलता है और जो भी इस पूजा में सम्मिलित होता है उसकी मात्र उपस्थिति से ही उसे इस पूजा का लाभ प्राप्त होता है इसीलिए इस पूजा को कभी भी अकेले नही करना चाहिए।
गोवर्धन परिक्रमा को अधूरा न छोड़ें
इस दिन मांस मदिरा या अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन भूल कर भी नही करना चाहिए और गोवर्धन की परिक्रमा को कभी अधूरा नही छोड़ना चाहिए ना ही गोवर्धन पूजा के बीच में कोई और कार्य करना चाहिए जब तक गोवर्धन पूजा चलती है जब तक पुरे मन से इस पूजा में ध्यान लगाना चाहिये।
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