बिल्ली को संस्कृत में क्या कहते हैं?

बिल्ली को संस्कृत में क्या कहते हैं?

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By Shubham Jadhav

बिल्लियाँ बहुत ही प्यारी होती हैं जिसके छोटे कान व दाँत होते हैं। इनकी चमकीली आँखे इन्हें सुंदर बनाती है तथा बड़े बड़े नाख़ून शिकार करने में मदद करते हैं। बिल्ली परिवार के 30 से भी अधिक जानवर हैं जिसमे तेंदुए, शेर, बाघ, प्यूमा, चीता, आदि शमिल हैं। बिल्लियाँ छोटी होती है जिस कारण इन्हें घरेलू भी माना जाता है। बिल्लियां विभिन्न रंगो की होती है जैसे सफेद, काले, सुनहरे, ग्रे, आदि , धरती पर बिल्ली की 55 से भी अधिक नस्लें मोजूद हैं, यह भी रात में देखने के सक्षम होती है, इनकी सूंघने की क्षमता भी बहुत तीव्र है और यह कूदने में काफी निपूर्ण होती है। बिल्ली मांसाहारी स्तनधारी हैं जो मानवो के बीच अच्छे से रह सकने में माहिर है। आगे हम जानेंगे कि बिल्ली को संस्कृत में क्या कहते हैं?

बिल्ली को संस्कृत में क्या कहते हैं

बिल्ली को संस्कृत में मार्जार:, बिडाल: कहते हैं। बहुत से लोग काली बिल्ली को अशुभ मानते है इस बिल्ली द्वारा रास्ता काट देने पर उस रास्ते पर आगे नही जाते हैं जो एक प्रकार का अन्धविश्वास है।

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