ब्रह्म मुहूर्त किसे कहते हैं? ब्रह्म मुहूर्त का समय क्या होता है?

ब्रह्म मुहूर्त किसे कहते हैं? ब्रह्म मुहूर्त का समय क्या होता है?

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By Shubham Jadhav

हिन्दू संस्कृति में जीवन को सरलतम रूप से जीने, ईश्वर से सम्पर्क बनाने, आध्यात्म से जुड़ने, स्वस्थ्य रहने जैसे सभी आवश्यक पहलुओ पर ध्यान दिया गया है, तथा ग्रंथो और पुराणों में इनके बारें में काफी विस्तृत रूप से लिखा गया है, इस मुहूर्त का पालन वर्षो से ऋषि मुनि करते आये हैं। हिन्दू धर्म का पालन करने वाले हर व्यक्ति ने ब्रह्म मुहूर्त का नाम तो जरुर सुना होगा, यदि आपको ब्रह्म मुहूर्त से जानकारी प्राप्त करने में रुचि है तो हमारे इस लेख को पूरा जरुर पढ़ें, इसमें आपको ब्रह्म मुहूर्त किसे कहते हैं? तथा ब्रह्म मुहूर्त का समय क्या होता है? जैसे जरुरी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँगे और आप ब्रह्म मुहर्त के महत्व को भी अच्छे से समझ सकेंगे।

ब्रह्म मुहूर्त किसे कहते हैं?

हिन्दू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त उस विशेष समय को कहा जाता है, जिसमे जागने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। ब्रह्म मुहूर्त परमात्मा का समय माना गया है जो अत्यधिक शुभ होता है, और इस समय में व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा रहती है, यदि व्यक्ति इस में जागता है तो उसे कई तरह के लाभ भी मिलते हैं और ईश्वर भी उससे प्रसन्न रहते हैं। आलसी व्यक्ति की तरह दोपहर तक सोने वाले व्यक्ति का न स्वास्थ्य ठीक रहता है न ही उसके घर में कभी लक्ष्मी आती है। उसके पितृ भी उससे नाराज़ रहते हैं और भगवान की कृपा भी ऐसे व्यक्ति पर नहीं रहती है।

ब्रह्म मुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक रहता है?

सूर्योदय के पहले के 93 मिनट को ब्रह्म मुहूर्त कहलाते हैं, यह समय कई कामो के लिए शुभ माना जाता है, यह लगभग 4 बजे से 5.30 तक का हो सकता है। इस मुहूर्त में कई बातों का ध्यान भी रखना चाहिए और कई ऐसे कार्य है जो यदि इस मुहूर्त में किये जाएँ तो उनका शुभ फल मिलता है, साथ ही कुछ काम ऐसे भी है जो इस मुहूर्त में नहीं कियी जाते हैं। यह समय रात का अंतिम पहर होता है और उसके इसे बात दिन की शुरुआत होने लगती है, प्राचीन काल से ही मुनि और ऋषि इस ब्रह्म मुहूर्त में ही कई काम किया करते थे और आज भी कई लोग है जो इस बात को नहीं ठुकराते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त काफी शुभ माना गया है और ब्रह्म मुहूर्त से सम्बन्धित नियमों का पालन करने से कई तरह लाभ मिलते हैं

ब्रह्म मुहूर्त में क्या करना चाहिए?

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेना चाहिए तथा अपने दिन की शुरुआत कर देनी चाहिए, परन्तु ऐसा करने के लिए आपको निश्चित समय पर सोना होगा और एक व्यवस्थित दिनचर्या का निर्माण करना होगा, ताकि ब्रह्म मुहूर्त में जागा जा सकें।

ब्रह्म मुहूर्त योग, आसान और व्यायाम के लिए भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है, माना जा है कि इस मुहूर्त में भगवान और पितृ पृथ्वी पर ही होते हैं और यदि इस समय में उनकी पूजा अर्चना की जाएँ तो वह आसानी से प्रसन्न होते हैं। अगर कोई व्यक्ति इस मुहूर्त में पूजा अर्चना करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है और इसके जीवन की अधिकांश समस्याएँ खत्म हो जाती है।

यदि कोई विद्यार्थी इस मुहूर्त में पढाई करता है तो इसका उसे अच्छा लाभ मिलता है क्योकि इस समय पढाई करने से आसानी से स्मरण होता है तथा लम्बे समय के लिए वह याद रहता है। इसके लिए बुजुर्ग सुबह के समय पढ़ने के लिए कहते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में क्या नहीं करना चाहिए?

ब्रह्म मुहूर्त में कभी भी नकारात्मक विचारो में मन में नहीं लाना चाहिए, यदि इस मुहूर्त में नकारात्मक विचार या किसी के प्रति नकारात्मक भावना लाते हैं तो इससे तनाव हो सकता हैं तथा पूरे दिन अपने मन में ऐसे ही नकारात्मक विचार बनें रह सकते हैं।

इस मुहूर्त में कभी भी सम्भोग नहीं करना चाहिए, यह समय पवित्र और धार्मिक कार्यो के लिए होता है, इसी लिए इस समय का उपयोग योग आदि में करना चाहिए।

इस मुहूर्त में खाना नहीं खाना चाहिए, सबसे पहले स्नान आदि कर देवता की पूजा करना चाहिए और कभी भी पूजन के पहले खाना नहीं खाया जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे

ब्रह्म मुहूर्त में उठाने के कई फायदें हो सकते हैं जैसे कि इस समय पूजा करने से ईश्वर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्त की सारी इच्छाएँ पूर्ण करते हैं। इस समय यदि कोई व्यक्ति उठता है तो उसे अनुभव होगा कि उसमे सकारात्मक ऊर्जा बड़ रही है तथा उसके अंदर से नकारात्मक ऊर्जा का अंत हो रहा है, ऐसा इसलिए होता है क्योकि इस समय वातावरण में सकारात्मकता रहती है और शांत तथा सकारात्मक वातावरण का असर व्यक्ति के उपर भी पड़ता हैं जिस कारण वह सकारात्मकता का अनुभव करता है। इस मुहूर्त में योग, व्यायाम करने से शरीर मजबूत होता है और व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है, उसका पाचन सही रहता है, उसे किसी तरह की बीमारी नहीं होती है। सुबह के समय वातावरण में शुद्धता रहती है इसीलिए इस समय कई तरह के योग करने से श्वसन तन्त्र भी मजबूत होता है। इस समय मस्तिष्क की शक्ति को बढाया जा सकता है तथा कोई व्यक्ति इस समय में पढाई करता है तो उसे ज्यादा समय के लिए याद रहता है। हर उम्र और वर्ग के व्यक्ति इस मुहूर्त में उठ सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त का महत्व

प्राचीन समय से ही ब्रह्म मुहूर्त में जागने की परम्परा है, परन्तु वर्तमान समय में अनियमित दिनचर्या के कारण व्यक्ति सुबह जल्दी नहीं उठ पाता है। ब्रह्म मुहूर्त में जागने और इस समय में पूजा पाठ करने, योग और व्यायाम करने से अन्य समय की तुलना में जल्दी लाभ मिलता है, तथा व्यक्ति का पूरा दिन अच्छे से व्यतीत होता है। इस समय को परमात्मा का समय बताया गया है इसीलिए ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है।

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