हर दूसरे दिन हमें अखबार में या न्यूज़ चैनल पर देखने को मिलता है कि ससुराल वालों ने बहु से दहेज में पैसा या कार अथवा जवाहरात की मांग करते हुए सताया। कई बार तो यह भी देखने को मिलता है कि दहेज उत्पीड़न के वजह से किसी बहु ने अपनी जान दे दी। लेकिन आखिर ये दहेज प्रथा क्या है (Dahej Pratha Kya Hai)? इसमें क्या होता है एवं भारत में इसे रोकने के लिए क्या क्या कानून बनाये गए हैं? चलिए आज इसी पर चर्चा करते हैं।
दहेज प्रथा क्या है?
Dowry System in Hindi: दहेज वह संपत्ति (धन, गाड़ी, जमीन या अन्य कोई वस्तु) है जो विवाह के समय वधु के परिवार की ओर से वर पक्ष को दी जाती है। यह प्रथा एक लम्बे अरसे से चली आ रही है। वैसे तो वधु पक्ष द्वारा अपनी मर्ज़ी से दहेज देने का उद्देश्य यह होता है कि वे अपनी बेटी के सुख के संसांधनों को विवाह के समय बेटी को उपहार स्वरुप देते हैं। परन्तु यह कुप्रथा या अपराध तब बन जाती है जब वर पक्ष द्वारा अनुचित रूप से या कोई दबाव बनाकर ऐसी मांगें रखी जाती है जो वधु पक्ष के लिए देना संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में वधु पक्ष कर्ज तले दब जाता है। या फिर मांग पूरी न होने पर वर पक्ष द्वारा कई सालों तक वधु का उत्पीड़न किया जाता है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दहेज प्रथा केवल हिन्दू धर्म में ही व्याप्त एक कुरीति नहीं है। अन्य धर्मों एवं देशों में भी यह कुरीति व्याप्त है।
दहेज प्रथा रोकने हेतु भारत में बनाये गए कानून
दहेज की कुप्रथा को रोकने हेतु भारत सरकार द्वारा निम्न कानून बनाये गए हैं।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और ससुराल वालों द्वारा दहेज की अवैधानिक मांग करते हुए उत्पीड़न करने से सम्बंधित है, के अंतर्गत 3 वर्ष की कैद और जुर्माना हो सकता है।
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने देने या फिर इसके लेनदेन में सहयोग करने वालों को 5 वर्ष की कैद एवं 15,000 रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।
- यदि पति और ससुराल वाले लड़की को उसका स्त्रीधन सौंपने से मना कर देते हैं तो धरा 406 के अंतर्गत उनके लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अनुसार यदि किसी लड़की की मृत्यु विवाह के 7 वर्ष के भीतर आसामान्य परिस्थितियों में हो जाये और यह साबित हो जाये कि उसे दहेज हेतु प्रताड़ित किया जाया था तो लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
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