धर्मो रक्षति रक्षितः कहाँ से लिया गया है एवं इसका अर्थ क्या है?


हिन्दू धर्म में कई श्लोक मौजूद है उन्हीं में से एक है धर्मो रक्षति रक्षितः। हिन्दू धर्म के अनुयायियों ओर उनकी संस्कृति पर विधर्मी प्राचीन काल से ही हमला करते आ रहे हैं फिर भी यह धर्म फल फूल रहा है और विदेशों में भी हिन्दू धर्म को लोग अपना रहे हैं वो भी बिना किसी जोर जबरदस्ती और लालच के। हिन्दू धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है। इस लेख में हम इस श्लोक से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे और आपको यह भी बताएंगे कि धर्मो रक्षति रक्षितः कहां से लिया गया है एवं इस श्लोक का अर्थ क्या होता है?

धर्मो रक्षति रक्षितः कहाँ से लिया गया है?

धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक मनुस्मृति तथा महाभारत से लिया गया है । इसका मतलब होता है कि “धर्म की रक्षा करने पर रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।” मनुस्मृति में श्लोक 8.15 में वर्णित लोकप्रिय संस्कृत वाक्यांश धर्मो रक्षति रक्षितः। आपको धर्म की रक्षा करने तथा सदैव धर्म के साथ खड़े रहने के संदर्भ में कहा गया श्लोक है जो महाभारत में भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते समय कहा था। जिसका मतलब “तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा” होता है।

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