निबंध का अर्थ होता है अपने शब्दों में बिना किसी बंधन के किसी विषय पर लिखना और यह कई विषयों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं खास कर हिंदी और इंग्लिश जैसे विषयों में निबन्ध सम्बन्धित प्रश्न होते हैं, जो परीक्षा में पूछे जाते हैं। कई बच्चो को लगता है कि निबन्ध लेखन एक कठिन विषय है और वह अक्सर निबन्ध को याद करने से डरते हैं और परीक्षा में इस महत्वपूर्ण प्रश्न को छोड़ आते हैं। शिक्षक विद्यार्थियों को निबन्ध याद करवाने की पूरी कोशिश करते हैं तथा उन्हें गृहकार्य में भी निबन्ध दिया जाता है ताकि विद्यार्थी अच्छे से इसे याद कर ले और यदि परीक्षा में निबंध पूछा जाएँ तो उसे अच्छे से लिख कर आ सकें। हम भी यह जानते हैं कि निबन्ध कितने महत्वपूर्ण है इसके लिए हम हमारी इस साईट पर निबन्ध भी डालते हैं ताकि विद्यार्थी को आसानी से महत्वपूर्ण विषयों पर निबन्ध आसानी से और आसन शब्दों में मिल सकें। आज हम आपके लिए लाये हैं दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Pooja in Hindi) जो आपको कई भागो में मिलेगा जैसे दुर्गा पूजा पर 10 पंक्तियाँ, दुर्गा पूजा पर 100 शब्द,दुर्गा पूजा पर निबंध आदि आप आपनी आवश्यकता के अनुसार निबन्ध का चयन कर सकते हैं।
जैसा ही हम जानते हैं कि भारत त्योहारों का देश है और यहाँ अनेक त्यौहार मनाएं जाते हैं। जैसे होली, दीपावली, राखी, दुर्गा पूजा आदि। इस साल दुर्गा पूजा 15 अक्टूबर को शुरू हो जायेगी और दशमी के दिन 24 अक्टूबर के दिन समाप्त होगी, विशेष तौर पर की जाने वाली दुर्गा पूजा षष्ठी तिथि से शुरू होती है और माना जाता है कि जो कोई भी दुर्गा पूजा करता है उसके सारे कष्टों का अंत हो जाता है तथा माँ दुर्गा उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण करती है। इन दिनों को कई क्षेत्रो में नवरात्री के नाम से जाना जाता है क्योकि माता दुर्गा की प्रतिमा नौ दिन और रात के लिए स्थापित की जाती है तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
दुर्गा पूजा पर 10 पंक्तियाँ
- दुर्गा पूजा हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है।
- प्राचीन मान्यताओ के अनुसार इन नौ दिनों तक माता दुर्गा और महिषासुर नाम राक्षस का युद्ध चला था और अंत में दुर्गा माँ की जीत हुई थी।
- नवरात्री के अंतिम दिन दशहरा मनाया जाता है और रावण का पुतला जलाया जाता है।
- नवरात्री के दौरान माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
- नवरात्री के दिनों में माता के पंडाल में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
- नवरात्री के समय गरबो का आजोयन किया जाता है तथा हर पंडाल में गरबे किये जाते हैं।
- नवरात्री के नौ दिनों में दुर्गा माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- दुर्गा माँ की पूजा करने से किसी भी तरह की बुरी शक्तियाँ समीप नहीं आती हैं।
- दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्यौहार पश्चिम बंगाल का मुख्य त्यौहार है और यहाँ बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा पर 100 शब्द
दुर्गा पूजा का त्यौहार नवरात्री के नाम से भी जाना जाता है जो हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तिथि तक होती है। इन दिनों माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है तथा कलश की स्थापना की जाती है, कलश के साथ माता की प्रतिमा स्थापित की जाती है, जिसकी पूजा की जाती है तथा दसवें दिन मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। दुर्गा पूजा इस लिए की जाती है क्योकि माना जाता है कि इन नौ दिनों तक राक्षस महिषासुर तथा दुर्गा माँ का युद्ध चला था तथा अंत में दुर्गा माँ ने पापी असुर का वध किया था।
दुर्गा पूजा पर लघु निबन्ध
भारत एक ऐसा देश जो अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, विभिन्न समुदायों के लोग यह निवास करते हैं। दुर्गा पूजा हिंदुओं के बीच एक अत्यंत पूजनीय त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार पूरे देश में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन यह विशेष रूप से पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और बिहार में भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस दौरान विस्तृत पंडालों का निर्माण किया जाता है यहाँ माता की मूर्ति स्थापित की जाती है तथा गरबा किया जाता हैं, नवरात्रि के अंतिम चार दिन, अर्थात् सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी, विशेष रूप से पूजनीय हैं, और यह त्यौहार दशमी पर, त्योहार रावण के वध के साथ समाप्त होता है जिसे दशहरा कहते हैं । दुर्गा पूजा जिसे दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, बंगाल में एक अत्यधिक प्रसिद्ध त्योहार है, यह बंगालियों के लिए मुख्य उत्सव है। यह त्यौहार बुराई का प्रतिनिधित्व करने वाले राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का जश्न मनाता है। दुर्गा पूजा की अवधि नौ दिनों तक चलती है, पंडालों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है, जहाँ दुर्गा माता की सुंदर रूप से सजी हुई मूर्ति प्रदर्शित की जाती हैं। पूजा अनुष्ठान सातवें दिन शुरू होते हैं, जो समर्पित व्यक्तियों को आकर्षित करते हैं जो आशीर्वाद मांगते हैं और समृद्ध भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं। धार्मिक पहलुओं के साथ-साथ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले और मीना बाज़ार आयोजित किए जाते हैं, जो सभी उम्र के लोगों के लिए खुशी लाते हैं। यह भव्य उत्सव रावण की हार के प्रतीक विजयदशमी के साथ समाप्त होता है। अगले दिन, अश्रुपूर्ण भक्त माँ दुर्गा को विदाई देते हैं और उन्हें पानी में विसर्जित करते हैं। कई लोग नवरात्रि शुरू होते ही 9 दिनों का व्रत रखते हैं, इस दौरान वे वैदिक मंत्रों के साथ देवी शक्ति के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। इन 9 दिनों में भक्त देवी दुर्गा की पूजा भी करते हैं। उनका आशीर्वाद पाकर व्यक्ति जीवन में खुशियां प्राप्त कर सकता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध
प्रस्तावना
हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार दुर्गा पूजा हर वर्ष ने दो बार आता है एक चेत्र नवरात्रे और एक अश्विन माह के नवरात्रे। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तिथि तक होता है, इसे नवरात्री के नाम से जाना जाता है तथा हर कोई इस दिनों माता की भक्ति में डूबा रहता हैं, कई क्षेत्रो में दुर्गा माँ की मुर्तिया स्थापित की जाती है तथा उनकी आराधना की जाती है। माना जाता है कि जो कोई दुर्गा पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
क्यों मनाया जाता है यह त्यौहार
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में एक राक्षस हुआ करता था जिसका नाम था महिषासुर और इस राक्षस ने ब्रिह्म जी की कड़ी तपस्या कर उसने वर माँगा था की यह अति शक्तिशाली हो जाएँ। ब्रह्मा जी ने इस राक्षस की अत्यंत शक्तियाँ प्रदान की परन्तु उसने इन शक्तियाँ का गलत इस्तेमाल किया और देव लोक पर ही हमला कर दिया, सारे देव यहाँ तक की इंद्र भी इसे नहीं हरा सकें तभी माता दुर्गा ने इस राक्षस से युद्ध प्रारम्भ किया और यह युद्ध नौ दिन तक चला अंत में माता दुर्गा के हाथों से इस राक्षस का वध हुआ और इन्ही नौ दिनों को नवरात्री के रूप में मनाया जाता आ रहा है। तथा कुल देवी की भी पूजा की जाती है।
कैसे मनाते हैं यह त्यौहार
दुर्गा माता को नौ दुर्गा भी कहते हैं क्योकि इनके नौ रूप होते हैं, हर दिन माता दुर्गा के एक रूप की आराधना की जाती है। प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। हर भक्त नवरात्री के व्रत करता है तथा हर दिन माता की पूजा करता हैं उनके मन्दिर जाता है। दुर्गा पूजा के इन दिनों माता की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए बड़े बड़े पांडाल बनाएं जाते हैं जहाँ कई तरह सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाते हैं और गरबे का आयोजन भी किया जाता है। गरबे को भी माँ की आराधना माना गया है इस लिए भक्तो की भीड़ इस गरबे में सम्मिलित होते है। अंतिम दिन विजयादशमी मनाई जाती है और इस दिन राम ने रावण का वध किया था और हर गली मोहल्लो में रावण का पुतला जलाया जाता है। नवरात्री के समय माँ दुर्गा के हर मंदिर में भक्तो की भेद लगी रहती है क्योकि वह इन पवित्रो दिनों में माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करने के लिए मंदिर जरुर जाते हैं।
उपसंहार
हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार दुर्गा पूजा भारत के कई क्षेत्रो में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, इन दिनों माँ दुर्गा के बड़े बड़े पंडाल बनते हैं जहाँ माँ की मूर्ति स्थापित की जाती है तथा अंतिम दिन ढोल ताशो के साथ उस मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। नवरात्री के दौरान राम लीला, रावण दहन और कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
कुछ और महत्वपूर्ण लेख –
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