घोड़ा चार पैर एक हल्की सी लम्बी गर्दन तथा बालों वाली बड़ी सी पूंछ वाला उपयोगी जानवर है। घोड़ा एक ऐसा जानवर है जो प्राचीन काल से ही इंसानो के काम आ रहा है, पहले यह युद्ध आदि में काम आता था इस पर सवार हो कर योद्धा युद्ध क्षेत्र में दुश्मनो पर हमला किया करते थे, एवं वाहन के रूप में भी इसका काफी प्रयोग किया जाता आ रहा है, घोड़ा गाड़ी आज भी कई जगह प्रचलन में है, घोड़े की कई नस्ले मौजूद है कई विलुप्त भी हो चुकी है। आज के समय मे क्रीड़ा के क्षेत्र में भी घोड़े का प्रयोग किया जाता है जैसे रेस, गोल्फ आदि। लोगो को संस्कृत भाषा से अवगत कराने का हमारा ये प्रयास हमेशा ही प्रारम्भ रहेगा इसीलिए आज के लेख में हम आपको घोड़े को संस्कृत में क्या कहते हैं यह बताने वाले है।
घोड़े को संस्कृत में क्या कहते हैं?
घोड़े को संस्कृत में अश्वः कहते हैं। शादी के समय दूल्हे की बारात दूल्हे को घोड़े पर बैठा कर ही निकाली जाती है यह काफी पुरानी परंपरा है ।
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