कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं?

कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं?

No Comments

Photo of author

By Shubham Jadhav

कोयल पक्षी अपनी मधुर और सुरीली आवाज़ के लिए जाना जाता है, यह अधिकतर  दक्षिण एशिया, चीन एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है। भारत में भी कोयल कई जगह पाई जाती है और ज्यादातर या खेतो में पाई जाती है यह फल आदि खाती है। यह भूरे या काले रंग की होती है जिसके लम्बी सी पूछ होती है और हल्की भूरी चोच होती है। यह जंगलो और खेतो में कु कु या की की आवाज़ निकलते हुए अधिकतर देखी जाती है। इसे मीठी बोली वाला पक्षी ही कहा जाता है। इस पोस्ट में आपको कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं? यह भी पता चल जाएगा।

नर कोयल काला या हल्का नील रंग का तथा मादा तीतर की तरह धबेदार चितकबरी होती है। कोयल कभी घोंसला नही बनती है ये हमेशा दुसरें पक्षियों के घोंसलों में अंडे देती है, और यह ऊँचे पदों पर ज्यादा रहती है। इन्हें सबसे अधिक वसंत  ऋतू में देखा जाता है।

कोयल को संस्कृत में क्या कहते हैं?

कोयल को संस्कृत में कोकिला कहा जाता है। कोयल की कुल लंबाई 40 से 45 सेंटीमीटर और चोड़ाई 16 से 18 इंच तक होती सकती है।

कुछ और महत्वपूर्ण लेख –

0Shares

Leave a Comment